Saturday, February 1, 2025

जंग

अर्से बाद आईने नज्म उतराई जंग लग गयी पहलू इन रस्मों को l

संदूक बंद लिहाफों से कतरा कोई बह चला आँखों यादों को ll


नब्ज रज्म रिवायत तहरीर आईने उलझी रह गयी इस तारीख को l

सोंधी सोंधी खोई खुमार इसकी रुला गयी यादों दर्पण आँचल को ll


गर्त गुब्बार ढका माहताब मोहताज हो गया झरोखे बादल को l

ग्रहण दीमक जंग सा डस गया आईने इस गुलजार आँगन को ll


फेहरिस्त ख्वाबों अरमानों धूमिल आईने सेज आसमानों को l

मेघ बूँदों तेजाब टपकती बदरंग करती यादों लिखावट स्याही को ll


फ़ाँकी धूल रूह कहानी को पाया जंग लगी यादों आईने रूहानी को l

जाने कब किश्त किश्त बिक गयी लेखनी पतवार खारे सागर पानी को ll

6 comments:

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    1. आदरणीय सुशील भाई साब
      आशीर्वाद की पुँजी के लिए तहे दिल से नमन

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  2. हृदयस्पर्शी सृजन ।

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    1. आदरणीया मीना दीदी जी
      आशीर्वाद की पुँजी के लिए तहे दिल से नमन

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  3. बहुत सुन्दर सृजन
    वाह!!

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    1. आदरणीया सुधा दीदी जी
      आशीर्वाद की पुँजी के लिए तहे दिल से नमन

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