अर्से बाद आईने नज्म उतराई जंग लग गयी पहलू इन रस्मों को l
संदूक बंद लिहाफों से कतरा कोई बह चला आँखों यादों को ll
नब्ज रज्म रिवायत तहरीर आईने उलझी रह गयी इस तारीख को l
सोंधी सोंधी खोई खुमार इसकी रुला गयी यादों दर्पण आँचल को ll
गर्त गुब्बार ढका माहताब मोहताज हो गया झरोखे बादल को l
ग्रहण दीमक जंग सा डस गया आईने इस गुलजार आँगन को ll
फेहरिस्त ख्वाबों अरमानों धूमिल आईने सेज आसमानों को l
मेघ बूँदों तेजाब टपकती बदरंग करती यादों लिखावट स्याही को ll
फ़ाँकी धूल रूह कहानी को पाया जंग लगी यादों आईने रूहानी को l
जाने कब किश्त किश्त बिक गयी लेखनी पतवार खारे सागर पानी को ll