Saturday, January 4, 2025

जौहर

जलती धरा विरह बिछड़न को l

जतिंगा रुन्दन परिंदा अग्नि को ll


सजती जौहर सेज बरस दर बरस l

शरद अमावस हर काली रातों को ll


बरबस इतिहास पृष्टभूमि खोल जाती l

गाथा पद्मिनी संग कुनबे जौहर को ll


सामुहिक क्रंदन विचलित कातर तम l

सहमा कायनात इस भयावह मंज़र ll


विभोर आकर्षित चातक जतिंगा घाटी को l

रहस्य नैसर्गिक मध्य विधमान तरंगों को ll


कुनबा जतिंगा परिंदा अंतिम साँसों को l

जौहर अग्नि शिखा आहुति तिलिस्म को ll


जलती धरा विरह बिछड़न को l

जतिंगा रुन्दन परिंदा अग्नि को ll

5 comments:

  1. शुभकामनाएं नए साल की |

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  2. नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ अनुज !

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    1. जतिंगा घाटी में पक्षियों की मृत्यु की व्यथा का मार्मिक चित्रण ।

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  3. मार्मिक रचना

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  4. बहुत सुंदर मार्मिक प्रस्तुति।

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