Tuesday, October 15, 2024

पहेली

किंवदन्ती पहेलियाँ उस काफिर के दस्तखतों सी l

ख़त पैगाम कोई लुभा रही दस्तावेजों ताल्लुक़ सी ll


अख्तियार किया था बसेरा परिंदों ने बिन दस्तकों की l

इजाजत ढूँढ रही धुन उस धुन्ध बिसर जाने की ll


शून्य सी अधीर भूल भूलैया पगडण्डियों तालों की l

घूंघट आँचल ओट छुपा गयी लालिमा काजल की ll


कशिश कशमकश उधेड़बुन नयन इन बातों की l

नज़र डोरी पिरो रही अश्वगंधा वेणी साज़ों की ll


मोहलत ना थी समंदर को ठहर रुक जाने की l

रूख अकारथ बदल गया मौन कंपकंपाती साँसों की ll


किंवदन्ती पहेलियाँ उस काफिर के दस्तखतों सी l

ख़त पैगाम कोई लुभा रही दस्तावेजों ताल्लुक़ सी ll

4 comments:

  1. सुन्दर सृजन । रचना के शीर्षक में टंकण त्रुटि हो गई है । कृपया इसे “पहेली” कर लें ।

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    1. आदरणीया मीना दीदी जी
      प्रोत्साहन और त्रुटि की तरफ ध्यान आकृष्ट करने के लिए दिल से आपका धन्यवाद l त्रुटि सुधार दी हैं l

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  2. Replies
    1. आदरणीय दिगंबर भाई साब
      सुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद

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