किंवदन्ती पहेलियाँ उस काफिर के दस्तखतों सी l
ख़त पैगाम कोई लुभा रही दस्तावेजों ताल्लुक़ सी ll
अख्तियार किया था बसेरा परिंदों ने बिन दस्तकों की l
इजाजत ढूँढ रही धुन उस धुन्ध बिसर जाने की ll
शून्य सी अधीर भूल भूलैया पगडण्डियों तालों की l
घूंघट आँचल ओट छुपा गयी लालिमा काजल की ll
कशिश कशमकश उधेड़बुन नयन इन बातों की l
नज़र डोरी पिरो रही अश्वगंधा वेणी साज़ों की ll
मोहलत ना थी समंदर को ठहर रुक जाने की l
रूख अकारथ बदल गया मौन कंपकंपाती साँसों की ll
किंवदन्ती पहेलियाँ उस काफिर के दस्तखतों सी l
ख़त पैगाम कोई लुभा रही दस्तावेजों ताल्लुक़ सी ll
सुन्दर सृजन । रचना के शीर्षक में टंकण त्रुटि हो गई है । कृपया इसे “पहेली” कर लें ।
ReplyDeleteआदरणीया मीना दीदी जी
Deleteप्रोत्साहन और त्रुटि की तरफ ध्यान आकृष्ट करने के लिए दिल से आपका धन्यवाद l त्रुटि सुधार दी हैं l
बढ़िया शेर ...
ReplyDeleteआदरणीय दिगंबर भाई साब
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद