किंवदन्ती पहेलियाँ उस काफिर के दस्तखतों सी l
ख़त पैगाम कोई लुभा रही दस्तावेजों ताल्लुक़ सी ll
अख्तियार किया था बसेरा परिंदों ने बिन दस्तकों की l
इजाजत ढूँढ रही धुन उस धुन्ध बिसर जाने की ll
शून्य सी अधीर भूल भूलैया पगडण्डियों तालों की l
घूंघट आँचल ओट छुपा गयी लालिमा काजल की ll
कशिश कशमकश उधेड़बुन नयन इन बातों की l
नज़र डोरी पिरो रही अश्वगंधा वेणी साज़ों की ll
मोहलत ना थी समंदर को ठहर रुक जाने की l
रूख अकारथ बदल गया मौन कंपकंपाती साँसों की ll
किंवदन्ती पहेलियाँ उस काफिर के दस्तखतों सी l
ख़त पैगाम कोई लुभा रही दस्तावेजों ताल्लुक़ सी ll