अश्वमेघ सा विचरण करता यह उच्छृंखल मन मयूर दर्पण नाचे मेघों साथ l
खोल जटा रुद्र हारा सा रूप त्रिनेत्र मल्हार सप्तरंगी बाण धुनों रंग जमाय ll
मृगतृष्णा परछाईं खटास की मीठी रूह सी चादर लड़कपन ओढ़ इतराय l
विभोर सागर मंथन बाँध अंजलि सी तरुणी लिखती खत बादलों को जाय ll
यादों अल्पविराम लम्हों ख्वाहिशों रक्स पूर्णविराम अंकुश रस बरसाय l
अनुमोद स्वरांजली स्याही कहानी अक्स कागज पहेली बन मुस्काय ll
पिंजर शून्य अर्पण हिम शिखर बहका मन काशी गंगा बहता जाय l
मेरु नीर दरख्तों सुगंध चाँदनी रात अकेली सी आँचल छुप शरमाय ll
आकर्षण दृष्टि खुली डोरी मन किताबों की स्वप्निल कहानी कहती जाय l
कलाई पुराने धागों सदृश्य बँधी अपराजिता कड़ी मन्नतों खुलती जाय ll
यादों अल्पविराम लम्हों ख्वाहिशों रक्स पूर्णविराम अंकुश रस बरसाय l
अनुमोद स्वरांजली स्याही कहानी अक्स कागज पहेली बन मुस्काय ll
सुन्दर सृजन ।
ReplyDeleteआदरणीया मीना दीदी जी
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
सुन्दर
ReplyDeleteआदरणीय सुशील भाई साब
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
बहुत ही सुन्दर सृजन
ReplyDeleteवाह!!!
आदरणीया सुधा दीदी जी
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
लेखन शैली रोचक है, बधाई💐💐
ReplyDeleteआदरणीया विभा दीदी जी
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
सुन्दर सृजन
ReplyDeleteआदरणीयओंकार भाई साब
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद