साये ने मेरे प्रतिलिपि लिखी थी एक गुमनामी शाम की l
गुलमोहर छाँव परछाई सहमी थी उस किनारे घाट की ll
कशिश सरोबार सिंदूरी श्रृंगार मन वैजयंती ताल की l
सहज लहर पदचापें ठौर उस क्षितिज गुलाबी साँझ की ll
साँझी लेखनी साँसे कोई प्रत्युत्तर अंकित इस राज की l
बहक उलझ गयी थी केशें उस हसीं चित्रण ख्वाब की ll
अंतरंगी डोर वैतरणी रूपरेखा उस खोई पहेली शाम की l
सतरंगी साजों धुन पिरो रही छलकती ओस बूँदों ख़ास की ll
मंथन उस काव्य धरा सजली थी प्रतिलिपि मेरे नाम की l
स्वच्छंद मुक्त हो गयी पिंजर बंद धड़कने मेरे उस चाँद की l
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर रविवार 07 जुलाई 2024 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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आदरणीय भाई साब
Deleteमेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिए तहे दिल से आपका आभार
सुन्दर
ReplyDeleteआदरणीय सुशील भाई साब
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteआदरणीय आलोक भाई साब
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
👌👌
ReplyDeleteआदरणीया विभा दीदी जी
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
वाह! क्या बात 👌
ReplyDeleteआदरणीया रूपा दीदी जी
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
बहुत सुंदर।
ReplyDeleteआदरणीया अनीता दीदी जी
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
बहुत सुंदर,
ReplyDeleteआदरणीया मधुलिका दीदी जी
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद