Saturday, March 2, 2024

दूरियाँ

दूरियाँ थी मेरे रहनुमा राहों ख्यालातों किनारों में l

गौण मौन खड़े थे इस पथ सारे जज्बात मुहानों पे ll 


डूब गयी थी कमसिन काया अलबेली मोज धाराओं में l 

निकाह कामिनी बाँधी जिसे मन्नत पाक दिशा धागों ने ll 


रुखसत अश्रु व्यथित रो ठहरे हुए नयनों परिभाषा में l 

खोये पैगाम अंजुमन सागर बह चले जल तरंगों पे ll  


गुलदस्ता मेहर मुरझा गया स्वप्निल अंकुरण से पहले l 

अंतर्बोध ताज मीनारे ढहा बहा गया सूखे सैलाब तले ll   


सौदा गुलमोहर किरदारों का टाँक गया पैबंद इसका l 

फूल किताबों के बदरंग हो गए इन सलवटों के पीछे ll

12 comments:

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    1. आदरणीय सुशील भाई साब
      सुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद

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  2. बहुत सुंदर हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति ।

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    1. आदरणीया मीना दीदी जी
      आपका उत्साहवर्धन ही मेरी कूची के रंगों की सुनहरी धुप की मीठी बारिश हैं, आशीर्वाद की पुँजी के लिए तहे दिल से नमन

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    1. आदरणीय आलोक भाई साब
      सुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद

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  4. वाह
    बहुत सुंदर

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    1. आदरणीय ज्योति भाई साब
      सुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद

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  5. रुखसत अश्रु व्यथित रो ठहरे हुए नयनों परिभाषा में l

    खोये पैगाम अंजुमन सागर बह चले जल तरंगों पे ll

    वाह! बहुत ही सुन्दर रचना 🙏

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    1. आदरणीया कामिनी दीदी जी
      सुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद

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  6. Replies
    1. आदरणीय भाई साब
      सुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद

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