तेरे सहर की दर्पण भीड़ में भींगी पलकों टूटा था एक आईना l
अश्कों जुनून साहिल बिखरा था हज़ारों बिन रंगों बरसात का ll
किरदार जुदा था आइने वजूद के उस नीले अम्बर महताब का l
बंद पलकों उस कशिश लहू राज छुपे थे मोतियों अश्रुधार का ll
काश्तकार था यह इजहार इश्तहार इस अजूबी दस्तकार का l
पढ़ समझ ना सका धुन्ध बूँद लिपटी धुन इस कलमाकार का ll
आवारा बादल मूँदी मूँदी आँखें इस खाली खाली दिल मकां रात का l
था तमअदृश्य सजली चकोर रूह बदलती गहरी परछाई साथ का ll
गूँज रहा जिक्र कहीं कहीं सिर्फ तेरी इस गुमनाम अलबेली साँझ का l
परवाज भरते आईनों ने हज़ारों परवान बिखेरे तेरे अक्स आकर का ll
गूँज रहा जिक्र कहीं कहीं सिर्फ तेरी इस गुमनाम अलबेली साँझ का l
ReplyDeleteपरवाज भरते आईनों ने हज़ारों परवान बिखेरे तेरे अक्स आकार का ll
आपकी लेखनी भावों का शब्द चित्र उकेरने में पारंगत है । अति सुन्दर सृजन ।
आदरणीया मीना दीदी जी
Deleteआपका उत्साहवर्धन ही मेरी कूची के रंगों की सुनहरी धुप की मीठी बारिश हैं, आशीर्वाद की पुँजी के लिए तहे दिल से नमन
सुन्दर
ReplyDeleteआदरणीय सुशील भाई साब
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
ReplyDeleteआवारा बादल मूँदी मूँदी आँखें इस खाली खाली दिल मकां रात का l
था तमअदृश्य सजली चकोर रूह बदलती गहरी परछाई साथ का ll बहुत ही भावपूर्ण लाइनें,कभी कभी लगता है आप को मैं गुरु बनाकर बहुत कुछ सीखूँ, आदरणीय शुभकामनाएँ
आदरणीया मधुलिका दीदी जी
Deleteबहन का दर्जा माँ समान हैं, आपका आर्शीवाद मेरी लेखनी पर बना रहे यही इस भाई की उम्मीद हैं, आप सभी से बहुत कुछ सिखने को मिलता हैं जो मेरे लिए प्रेरणादायिनी संजीव बूटी है।
आहा बहुत खूब कहा है
ReplyDeleteआदरणीय दिगंबर भाई साब
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
काश्तकार था यह इजहार इश्तहार इस अजूबी दस्तकार का l
ReplyDeleteपढ़ समझ ना सका धुन्ध बूँद लिपटी धुन इस कलमाकार का ll
वाह!!!
बहुत ही सुन्दर...
लाजवाब ।
आदरणीया सुधा दीदी जी
Deleteआपका उत्साहवर्धन ही मेरी कूची के रंगों की सुनहरी धुप की मीठी बारिश हैं, आशीर्वाद की पुँजी के लिए तहे दिल से नमन
Kayal ji, वाकई में आपकी रचना कायल करने वाली होती। बहुत सुंदर सृजन।
ReplyDeleteआदरणीया रूपा दीदी जी
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद