Saturday, January 20, 2024

ll अश्रुधार ll

तेरे सहर की दर्पण भीड़ में भींगी पलकों टूटा था एक आईना l

अश्कों जुनून साहिल बिखरा था हज़ारों बिन रंगों बरसात का ll


किरदार जुदा था आइने वजूद के उस नीले अम्बर महताब का l

बंद पलकों उस कशिश लहू राज छुपे थे मोतियों अश्रुधार का ll


काश्तकार था यह इजहार इश्तहार इस अजूबी दस्तकार का l

पढ़ समझ ना सका धुन्ध बूँद लिपटी धुन इस कलमाकार का ll


आवारा बादल मूँदी मूँदी आँखें इस खाली खाली दिल मकां रात का l

था तमअदृश्य सजली चकोर रूह बदलती गहरी परछाई साथ का ll


गूँज रहा जिक्र कहीं कहीं सिर्फ तेरी इस गुमनाम अलबेली साँझ का l

परवाज भरते आईनों ने हज़ारों परवान बिखेरे तेरे अक्स आकर का ll

Sunday, January 7, 2024

ख्याल

इत्र सी ख्वाबों तरंगें महकाती साँसे खतों की l

गुलदस्ता वो पुराने अघलिखे ख्यालातों की ll


अकेले में खिलखिला दे मुस्कान जो अधरों की l

पहेली वो मेरे चाँद के अनकहे अल्फाजों की ll 


पुंज गूंज वज्र अंबर सरीखी मलिनी गणना की l 

घूंघट वेणी छिपी केश माधुर्य यन्त्र मंत्रणा की ll 


अर्जियाँ लिखती लहरें कपोलों मनमर्जियाँ की l 

खोई धड़कने तलाशती भींगी डूबती साँसों की ll


साँझ ढलती मधुर रंग छलकाती संगम बेला किरणों की l 

झांझर घुँघरू मन दर्पण नचा जाती अघलिखे ख्यालों की ll