Monday, December 4, 2023

पूर्ण शून्य

पूर्ण शून्य हूँ उस माथे बिंदिया सरताज का l

नमामी ललाट सजी सिंदूरी काया साज का ll


किनारा उसकी आँचल ओढ़नी छाँव का l

इबादत सजी पतित पावनी गंगा साज का l


नीलाम्बर उमंगों प्रार्थना सजी भाव का l

अर्ध आकार जिसमें निश्चल प्रेम साज का l


प्रचंड उत्सर्ग प्रखर उस सृष्टि अभिमान का l

नयी धरा काव्य कहती इसकी नयन साँझ का ll


केशों सजी उस वेणी मधुरस खास अंदाज का l

साँसों बिन धड़कती इसकी हिरनी चाल का ll


कर्णकार गलहार उस वैजयंती शीतल धार का l

शून्य पूर्ण कर गया जो मेरी रूह कर्णताल साज का ll