Tuesday, August 8, 2023

ll बारिश की तान ll

कल देखा था बारिश को जुल्फों पर फिसलते हुए l

हौले से आँचल को लिपट कंगन डोरी बंधते हुए ll



मदमाती सी भींग रही थी दामन की पतवार l

संग पुरबाई झोंकों से कर्णफूल कर रहे थे करताल ll



महकी बालों गुँथी वेणी काले बादल रमी थी ऐसी l

रंग रुखसार बिखरा गयी थी इन्द्रधनुषी घटा शरमाय ll



लहर संगीत धुन बरसी थी जो नयनों काजल से l

कजरी स्याह मेघ सी ढाल गयी थी सुरमई आँखों में ll



झूमी थी जो झांझर एक पल शहनाई मृदुल तान सी l

सहमा लज्जा गयी थी बिंदिया इस माथे दर्पण ताज की ll



घूंघट पहरा ना था इसके सुनहरे आसमाँ आँगन में l

ग़ज़ल कोई लिख गयी कुदरत मानो बारिश बूँदों में ll

10 comments:

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    1. आदरणीय सुशील भाई साब
      सुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद

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  2. बारिश का सुंदर वर्णन

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    1. आदरणीया अनीता दीदी जी
      आपका उत्साहवर्धन ही मेरी कूची के रंगों की सुनहरी धुप की मीठी बारिश हैं, आशीर्वाद की पुँजी के लिए तहे दिल से नमन

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  3. अत्यंत सुन्दर मनोहारी सृजन ।

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    1. आदरणीया मीना दीदी जी
      आपका उत्साहवर्धन ही मेरी कूची के रंगों की सुनहरी धुप की मीठी बारिश हैं, आशीर्वाद की पुँजी के लिए तहे दिल से नमन

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  4. वाह मनोज जी प्रकृति सुंदरी के साथ नायिका की खूबसूरती का मनमोहक वर्णन

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    1. आदरणीया मीना दीदी जी
      आपका उत्साहवर्धन ही मेरी कूची के रंगों की सुनहरी धुप की मीठी बारिश हैं, आशीर्वाद की पुँजी के लिए तहे दिल से नमन

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    1. आदरणीय शिवम् भाई साब
      सुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद

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