अदना सा ख्याल यूँ ही जाने क्यों मन को भा गया l
गुफ़्तगू इश्क की खुद से भी कर लिया करूँ कभी ll
गुजरु जब फिर यादों की उन तंग गलियों से कभी l
जी लूँ हर वो लम्हा उम्र जहां आ ठहरी थी कभी ll
हँसूँ खुल कर मिल कर खुद से इसके बाद जब कभी l
झुर्रियों चेहरे की सफ़ेदी बालों की इतराने लगे खुशी ll
अन्तर फर्क़ करूँ उन लिफाफों में कैसे फिर कभी l
सूखे गुलाब आज भी जब महक रहे ताजे से वहीं ll
संवारू निहारूं जब जब दर्पण फुर्सत लम्हों में कभी l
परछाईं झलक इश्क की भी शिकवा और ना करे कभी ll
अच्छे भाव हैं, वाह!
ReplyDeleteआदरणीय भाई साब
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
वाह
ReplyDeleteआदरणीय भाई साब
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
अति उत्तम भावनाओं को व्यक्त करती अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteआदरणीया मीना दीदी जी
Deleteआपका उत्साहवर्धन ही मेरी कूची के रंगों की सुनहरी धुप की मीठी बारिश हैं, आशीर्वाद की पुँजी के लिए तहे दिल से नमन
सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteआदरणीय ओंकार भाई साब
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
अच्छी भावाभिव्यक्ति !
ReplyDeleteआदरणीय भाई साब
ReplyDeleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद