रंगों की प्रीत ने घोली हीना सी ऐसी मदमाती सुगंध चाल में l
केशों में गुँथी वेणी भी थिरक उठी इसके ही रंगों साज में ll
चंद्र शून्य भी भींग इसकी बैजन्ती के कर्ण ताल में l
लहरा रही कुदरत प्यासे मरुधर मृगतृष्णा ताल में ll
इन्द्रधनुषी रंग बिखराती लाली बिंदी माथे सजी l
बाँसुरी सी बजा रही समंदर ख्यालों अरमान में ll
खनखन करती चूडिय़ां सम्भाल रही ओढ़नी डोर साथ में l
राग सरगम बरस रही इनके रंगें इशारों छुपी जो साथ में ll
चढी खुमारी रंगों की ऐसी फागुन के फाग में l
चाँद भी रंग आया डफली की मीठी थाप में ll
मुरीद अधर रंग सहेजे जिस कोकिल कंठी राग के l
रंग गयी चुपके से वो मुझे अपने ही रंगों रुखसार में ll
गुलाल गुलाब के बिखरते रंगों होली जज्बात में l
सांवला रंग भी निखर आया साँसों के रंगों रास में ll
सुन्दर रचना| होली की शुभकामनायें|
ReplyDeleteआदरणीय सुशील भाई साब
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
होली के रंगों से सजी सुन्दर सृजन ।होली की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteआदरणीया मीना दीदी जी
Deleteह्रदय तल से आपका आभार, आपका प्रोत्साहन ही सही मायने में मेरी लेखनी का ऊर्जा स्त्रोत हैं
बहुत सुंदर।
ReplyDeleteआदरणीय नीतीश भाई साब
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
चढी खुमारी रंगों की ऐसी फागुन के फाग में l
ReplyDeleteचाँद भी रंग आया डफली की मीठी थाप में ll
वाह!!!
बहुत ही सुंदर...
रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं ।
आदरणीया सुधा दीदी जी
Deleteह्रदय तल से आपका आभार, आपका प्रोत्साहन ही सही मायने में मेरी लेखनी का ऊर्जा स्त्रोत हैं
होली पर पर सुंदर सार्थक रचना।
ReplyDeleteआदरणीया जिज्ञासा दीदी जी
Deleteह्रदय तल से आपका आभार, आपका प्रोत्साहन ही सही मायने में मेरी लेखनी का ऊर्जा स्त्रोत हैं
This was a lovelly blog post
ReplyDeleteThanks great post.
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