Sunday, January 8, 2023

गुस्ताखियाँ

बेईमान लम्हों की हसीन नादान गुस्ताखियाँ l

कर गयी ऐसी मीठी मीठी दखलअन्दाज़िया ll


शरमा तितली सी वो कमसिन सी पंखुड़ियां l

रंग गयी गुलमोहर उस चाँद की परछाइयाँ ll


सुनहरी ढलती साँझ की मधुर लालिमा जिसकी l

संदेशा गुनगुना जाती यादों सिमटती रातों का ll


अक्सर दस्तक देती चिलमन की वो शोखियाँ l

जुड़ी थी जिससे कुछ अनजाने पलों की दोस्तियाँ ll


मेहरबाँ थी अजनबी राहें भटकती मृगतृष्णा बोलियाँ l

बन्ध गयी थी जिनसे इस अनछुए अकेलेपन की डोरियाँ ll


स्पंदन एक मखमली सा था इनकी फ़िज़ाओं हवाओं में l

इत्र सा महका जाती आल्हादित मन अपनी गुस्ताखियों से ll

12 comments:

  1. सुन्दर शिल्प से सुसज्जित भावपूर्ण भावाभिव्यक्ति अनुज! नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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  2. नव वर्ष की शुभकामनाएं

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    1. आदरणीय सुशील भाई साब
      आपको भी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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  3. आह्लाद का सृजन करती सुंदर रचना

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  4. शरमा तितली सी वो कमसिन सी पंखुड़ियां l

    रंग गयी गुलमोहर उस चाँद की परछाइयाँ ll
    वाह!!!!
    बहुत सुंदर।

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  5. सुंदर प्रस्तुति आदरणीय ।

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  6. आदरणीय दीपक भाई साब
    सुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद

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  7. बेहद सुंदर रचना

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    1. आदरणीया दीदी जी
      ह्रदय तल से आपका आभार, आपका प्रोत्साहन ही सही मायने में मेरी लेखनी का ऊर्जा स्त्रोत हैं

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  8. बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना।

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    1. आदरणीया रूपा दीदी जी
      ह्रदय तल से आपका आभार, आपका प्रोत्साहन ही सही मायने में मेरी लेखनी का ऊर्जा स्त्रोत हैं

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