बेईमान लम्हों की हसीन नादान गुस्ताखियाँ l
कर गयी ऐसी मीठी मीठी दखलअन्दाज़िया ll
शरमा तितली सी वो कमसिन सी पंखुड़ियां l
रंग गयी गुलमोहर उस चाँद की परछाइयाँ ll
सुनहरी ढलती साँझ की मधुर लालिमा जिसकी l
संदेशा गुनगुना जाती यादों सिमटती रातों का ll
अक्सर दस्तक देती चिलमन की वो शोखियाँ l
जुड़ी थी जिससे कुछ अनजाने पलों की दोस्तियाँ ll
मेहरबाँ थी अजनबी राहें भटकती मृगतृष्णा बोलियाँ l
बन्ध गयी थी जिनसे इस अनछुए अकेलेपन की डोरियाँ ll
स्पंदन एक मखमली सा था इनकी फ़िज़ाओं हवाओं में l
इत्र सा महका जाती आल्हादित मन अपनी गुस्ताखियों से ll
सुन्दर शिल्प से सुसज्जित भावपूर्ण भावाभिव्यक्ति अनुज! नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteनव वर्ष की शुभकामनाएं
ReplyDeleteआदरणीय सुशील भाई साब
Deleteआपको भी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
आह्लाद का सृजन करती सुंदर रचना
ReplyDeleteशरमा तितली सी वो कमसिन सी पंखुड़ियां l
ReplyDeleteरंग गयी गुलमोहर उस चाँद की परछाइयाँ ll
वाह!!!!
बहुत सुंदर।
बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति आदरणीय ।
ReplyDeleteआदरणीय दीपक भाई साब
ReplyDeleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
बेहद सुंदर रचना
ReplyDeleteआदरणीया दीदी जी
Deleteह्रदय तल से आपका आभार, आपका प्रोत्साहन ही सही मायने में मेरी लेखनी का ऊर्जा स्त्रोत हैं
बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना।
ReplyDeleteआदरणीया रूपा दीदी जी
Deleteह्रदय तल से आपका आभार, आपका प्रोत्साहन ही सही मायने में मेरी लेखनी का ऊर्जा स्त्रोत हैं