मौन ही वह सबसे सुंदर अहसास था l
पल जो उसके लबों से होकर गुजरा था ll
उफनता सागर भी वो ठहर गया था l
खुशबु को इसकी जब मैंने छुआ था ll
स्पर्श हृदय मन ने किया था जिस मौन को l
अल्फाज़ आहटें बिखर गयी थी उस पल को ll
मौन वाणी पल्लवित सुगंध महका अंबर को l
आतुर कर गयी थीं छुने उन उड़ते परिंदों को l
समेटा इन मौन अक्षरों को सदियों बाद फिर l
प्रेम कपोल प्रस्फुटित हो गया एक बार फिर ll
धूप छाँव सी दस्तक देती किंवदंतियों इन मौनौ की l
शब्द सार नक्काशी तराशती फिर उन्हीं अहसासों की ll
अधूरी रह गयी थी चेतना जिन अल्फाजों की l
मौन उसकी लिख गयी नयी इबादत जज़्बातों की ll
मौन उसकी लिख गयी नयी इबादत जज़्बातों की ll
मौन उसकी लिख गयी नयी इबादत जज़्बातों की ll
सुन्दर
ReplyDeleteआदरणीय सुशील भाई साब
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
मौन को परिभाषित करती सुन्दर रचना।
ReplyDeleteआदरणीया मीना दीदी जी
Deleteह्रदय तल से आपका आभार, आपका प्रोत्साहन ही सही मायने में मेरी लेखनी का ऊर्जा स्त्रोत हैं
ख़ूबसूरत रचना अभिनंदन ।
ReplyDeleteआदरणीय शांतनु भाई साब
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
ReplyDeleteजी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज शुक्रवार(०४-११-२०२२ ) को 'चोटियों पर बर्फ की चादर'(चर्चा अंक -४६०२) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
आदरणीया अनीता दीदी जी
Deleteमेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिए तहे दिल से आपका आभार
मौन पर गहन सृजन।
ReplyDeleteसुंदर रचना।
कभी कभी जुबां वो नहीं कह पाती, जो बात मौन कह जाती है!!
ReplyDeleteबस वैसे ही आपकी लेखनी ने बहुत कुछ कह डाला👌👌
आदरणीया रूपा दीदी जी
Deleteह्रदय तल से आपका आभार, आपका प्रोत्साहन ही सही मायने में मेरी लेखनी का ऊर्जा स्त्रोत हैं
सुगंधित मौन... सुन्दर भावाभिव्यक्ति।
ReplyDeleteआदरणीया अमृता दीदी जी
Deleteह्रदय तल से आपका आभार, आपका प्रोत्साहन ही सही मायने में मेरी लेखनी का ऊर्जा स्त्रोत हैं
आदरणीय मनोज कायल जी , राधे ! राधे !!
ReplyDeleteसुन्दर पंक्तियाँ बन पड़ी है
प्रेम कपोल प्रस्फुटित हो गया एक बार फिर...
अभिनन्दन !
आदरणीय तरुण भाई साब
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद