Tuesday, November 1, 2022

मौन

मौन ही वह सबसे सुंदर अहसास था l

पल जो उसके लबों से होकर गुजरा था ll


उफनता सागर भी वो ठहर गया था l

खुशबु को इसकी जब मैंने छुआ था ll


स्पर्श हृदय मन ने किया था जिस मौन को l

अल्फाज़ आहटें बिखर गयी थी उस पल को ll


मौन वाणी पल्लवित सुगंध महका अंबर को l

आतुर कर गयी थीं छुने उन उड़ते परिंदों को l


समेटा इन मौन अक्षरों को सदियों बाद फिर l

प्रेम कपोल प्रस्फुटित हो गया एक बार फिर ll


धूप छाँव सी दस्तक देती  किंवदंतियों इन मौनौ की l

शब्द सार नक्काशी तराशती फिर उन्हीं अहसासों की ll


अधूरी रह गयी थी चेतना जिन अल्फाजों की l

मौन उसकी लिख गयी नयी इबादत जज़्बातों की ll


मौन उसकी लिख गयी नयी इबादत जज़्बातों की ll

मौन उसकी लिख गयी नयी इबादत जज़्बातों की ll