छिपाने अश्कों याराना बारिशों से मैंने कर ली l
मेघों की बिखरती बूँदों से दर्द भी साँझा कर ली ll
शिकवा रहे ना खुद से किसी बेरुखी का l
काले बादलों में हबीबी की नूर तराश ली ll
हौले से अधूरे ख्वाब बेच जाती नींद पलकों में l
कोलाहल सागर मल्हारों यही थी जो छुपा लाती ll
रुखसत होने इस अश्रु व्यंग परिहास ज़ख्मों से l
बूँदों की फुसफुसाहट ताबीर इसकी बना डाली ll
फिदा बारिशों के इस संगम मनुहार पर l
धारा अश्कों मेहरान घटायें सिमट आती ll
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शनिवार (02-07-2022) को चर्चा मंच "उतर गया है ताज" (चर्चा अंक-4478) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आदरणीय शास्त्री जी सर
Deleteआप गुणीजनों का आशीर्वाद बना रहे और आपके मंच पर स्थान मिलता रहे इससे ज्यादा सौभाग्य की बात मेरे लिए और हो नहीं सकती, आपका शुक्रगुजार हूँ
बहुत सुंदर।
ReplyDeleteआदरणीया दीदी जी
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
हौले से अधूरे ख्वाब बेच जाती नींद पलकों में l
ReplyDeleteकोलाहल सागर मल्हारों यही थी जो छुपा लाती... वाह!बहुत ही सुंदर सृजन अनुज।
सादर
आदरणीया अनीता दीदी जी
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
हमेशा की तरह बहुत सुन्दर भावों की अभिव्यक्ति अनुज ।
ReplyDeleteआदरणीया दीदी जी
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
बहुत सुंदर रचना ।
ReplyDeleteआदरणीया जिज्ञासा दीदी जी
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
हौले से अधूरे ख्वाब बेच जाती नींद पलकों में l
ReplyDeleteकोलाहल सागर मल्हारों यही थी जो छुपा लाती..
वाह!!!
बहुत ही सुंदर ।
आदरणीया सुधा दीदी जी
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
शुभ प्रभात बन्धु!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना ।
आदरणीय आतिश भाई साब
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
कितनी मुलायमियत है आपके जज़्बातों में! वाह! बहुत ख़ूब!!!
ReplyDeleteआदरणीय विश्वमोहन भाई साब
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद