शिवालय तू मेरे ध्यानमग्न महताब का l
कंठ विष सा नीला इसके आसमान का ll
उलझी बिखरी केश लट जटाएं समेटी l
अनगिनत सी अश्रुधारा सागर वेग का ll
तांडव सा रौद्र रूप दमक रहा इसका l
नाच रहा क्षितिज मन महाकाल का ll
मस्तक तिलक त्रिशूल तेज बना इसने l
श्रृंगार रचा रखा हिमालय ताज का ll
भस्म धूनी रमाये जलती आधी साँझ का l
बज रहा डमरू इसके ही शिव जाप का ll
बज रहा डमरू इसके ही शिव जाप का l
बज रहा डमरू इसके ही शिव जाप का ll
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (24-5-22) को "ज्ञान व्यापी शिव" (चर्चा अंक 4440) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
आदरणीया दीदी जी
Deleteमेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिए तहे दिल से आपका आभार
ॐ नमः शिवाय 🙏🙏 सुंदर सृजन
ReplyDeleteआदरणीया संगीता दीदी जी
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
वाह वाह!भावपूर्ण भक्तिमय सर्जन
ReplyDeleteआदरणीय भाई साब
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
तांडव सा रौद्र रूप दमक रहा इसका l
ReplyDeleteनाच रहा क्षितिज मन महाकाल का ll
वाह!!!
बहुत ही सुन्दर
आदरणीया सुधा दीदी जी
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
अति सुंदर, आदरणीय , जय भोलेनाथ ।
ReplyDeleteआदरणीय दीपक भाई साब
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
अति सुन्दर शिवोमय भाव।
ReplyDeleteआदरणीया अमृता दीदी जी
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
बहुत सुंदर,जय शिव शंभु ।
ReplyDeleteआदरणीया दीदी जी
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद
बन्धु जी,
ReplyDeleteहर-हर महादेव ! जय महादेव !
बहुत सुंदर सृजन !
आदरणीय भाई साब
Deleteसुंदर शब्दों से हौशला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से धन्यवाद