श्रृंगार में रचे ढले हसीन सुरीले तरानों का ll
काफ़िला ले आया संग अपने एक बार फिर ये l
रंगने कारवाँ यादों की मौशिकी महफ़िलों का ये ll
नज़र उतारू हर एक उन याद पायदानों की l
मरुधर संगम होता इनका जिस चिलमन पर ll
परछाइयाँ रूह सायों में लिपटी बेजुबान सी l
हर कदम जुदा यादों से होती जिस एक मोड़ पर ll
अविस्मरणीय स्मृति ग्रंथ पल पल छलके l
इनके कण कण से अमृत सागर बूँदों सी ll
संकोच कुछ ऐसा यादों की इन तालीम में l
पलकें झुका कहती सिर्फ आँखों पुतलियों से ll
मीठे दर्द सा फरमान इन अकेली तन्हा यादों में l
फेहरिस्त लिखता जैसे अर्ध चाँद ढलती रातों में ll
जब जब आयी यादें बरसती सी मरुधर अंजुमन में l
साँसों को साँसों से जोड़ आयी इसके पहलू दामन से ll
डुबों इस मरुधर को मीठी यादों की सौगात बना l
ताबूतों को भी दिलकशी में जीना सीखा आयी ये ll
वाह ... क्या बात है ...
ReplyDeleteलाजवाब ...
आदरणीय दिगंबर भाई साहब जी
Deleteसुन्दर अल्फाजों से हौसला अफजाई के लिए दिल से शुक्रिया
ये भी अच्छी दिलकशी रही ..... कुछ समझ आयी कुछ नहीं भी आई ।।
ReplyDeleteआदरणीया संगीता दीदी जी
Deleteकोशिश रहेगी इसमें सुधार कर दूँ बस आपका आर्शीवाद बना रहे l
सादर
बहुत बढ़िया सर!
ReplyDeleteआदरणीय यशवंत भाई साहब जी
Deleteसुन्दर अल्फाजों से हौसला अफजाई के लिए दिल से शुक्रिया
अहसास उन मीठी मीठी यादों लम्हों का l
ReplyDeleteश्रृंगार में रचे ढले हसीन सुरीले तरानों का ll
भावपूर्ण कृति ।
आदरणीया मीना दीदी जी
Deleteसुन्दर अल्फाजों से हौसला अफजाई के लिए दिल से शुक्रिया
सुन्दर
ReplyDeleteआदरणीय सुशील भाई साहब जी
Deleteसुन्दर अल्फाजों से हौसला अफजाई के लिए दिल से शुक्रिया
अविस्मरणीय स्मृति ग्रंथ पल पल छलके
ReplyDeleteइनके कण कण से अमृत सागर बूँदों सी
शानदार अभिव्यक्ति ।
उम्दा/बेहतरीन।
आदरणीया कुसुम दीदी जी
Deleteसुन्दर अल्फाजों से हौसला अफजाई के लिए दिल से शुक्रिया
अहसास उन मीठी मीठी यादों लम्हों का l
ReplyDeleteश्रृंगार में रचे ढले हसीन सुरीले तरानों का ll
बहुत ही सुंदर
आदरणीया भारती दीदी जी
Deleteसुन्दर अल्फाजों से हौसला अफजाई के लिए दिल से शुक्रिया
बहुत मर्मस्पर्शी
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