Tuesday, January 4, 2022

धुँधला

रिश्तों के बाजार में नया कुछ ना था l
दर्पण में हर एक चेहरा धुँधला सा था ll

अर्सों सँवारा नाजों से जिस हर एक पल को l 
काफूर गुम था वजूद हर एक उस पल का ll

टुकड़ों टुकड़ों बिका मैं भी परिंदा नादान l
तौलता गया तराजू बिन किये दर भाव ll

स्पर्श था रक्त का हवाओं के आस पास l
बहा था मेरा लहू जो अश्कों के साथ साथ ll 

सौदागरी बदल गयी देखने परखने के अंदाज़ l 
काफ़िरना बन गया मैं काफिरों के साथ साथ ll

हर एक मोल में थी छुपी थी एक ही अरदास l
कहीं दिल ना बिक जाये जिस्म के साथ साथ ll 

अहमियत खो गए सारे जज्बाती बात व्यवहार l
धूल में मिल मिट गए रिश्तों के सारे तार सार ll

सौदागरों की इस बस्ती में रिश्ते थे बेईमान l
अक्स भी धुँधला हो जाता आकर दर्पण पास ll   

16 comments:

  1. टुकड़ों टुकड़ों बिका मैं भी परिंदा नादान l
    तौलता गया तराजू बिन किये दर भाव ll
    हृदयस्पर्शी सृजन ।

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    1. आदरणीया मीना दीदी जी
      सुन्दर अल्फाजों से हौसला अफजाई के लिए दिल से शुक्रिया

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  2. सौदागरी बदल गयी देखने परखने के अंदाज़ l
    काफ़िरना बन गया मैं काफिरों के साथ साथ ll
    और
    अहमियत खो गए सारे जज्बाती बात व्यवहार l
    धूल में मिल मिट गए रिश्तों के सारे तार सार ll
    सच जहाँ हर तरफ सौदागरों की भीड़ हो वहां रिश्तों को सिमटते देर नहीं लगती .. वक्त का हालातों को देख लगता है कि स्वार्थ के सीमा से परे देख पाने वाली ऑंखें कमजोर हो चुकी हैं ..................

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    1. आदरणीया कविता दीदी जी
      आज का सत्य यही हैं, रिश्तों में अब पहले सी बातेँ कहा रही l

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  3. अहमियत खो गए सारे जज्बाती बात व्यवहार l
    धूल में मिल मिट गए रिश्तों के सारे तार सार ll
    ..सटीक अभिव्यक्ति ।
    नव वर्ष मंगलमय हो 💐💐

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    1. आदरणीया जिज्ञासा दीदी जी
      सुन्दर अल्फाजों से हौसला अफजाई के लिए दिल से शुक्रिया

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    1. आदरणीय सुशील भाई जी
      सुन्दर अल्फाजों से हौसला अफजाई के लिए दिल से शुक्रिया

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  5. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(०६-०१ -२०२२ ) को
    'लेखनी नि:सृत मुकुल सवेरे'(चर्चा अंक-४३०१)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. आदरणीया अनीता दीदी जी
      मेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिये तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ l
      आभार

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    1. आदरणीय भाई जी
      सुन्दर अल्फाजों से हौसला अफजाई के लिए दिल से शुक्रिया

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  7. स्पर्श था रक्त का हवाओं के आस पास l
    बहा था मेरा लहू जो अश्कों के साथ साथ ll
    बहुत ही हृदयस्पर्शी सृजन
    वाह!!!

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    1. आदरणीया सुधा दीदी जी
      सुन्दर अल्फाजों से हौसला अफजाई के लिए दिल से शुक्रिया

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  8. यथार्थ को चित्रित करते लाजवाब अस्आर।
    उम्दा सृजन।

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    1. आदरणीया कुसुम दीदी जी
      सुन्दर अल्फाजों से हौसला अफजाई के लिए दिल से शुक्रिया

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