सफर के हर पड़ाव कदम मुकाम बदलते गये l
निशाँ अपनी फितरतों के हर और छोड़ते गये ll
इतने लग गये इसके दामन के दरमियाँ बदरंगें से दाग l
मैला हो आँचल तार तार हो गये इसके पहलू एक साथ ll
नादानीयॉ उस रुखसार की शिकस्त ऐसी दे गयी l
अधूरे मशवरे की खींचतान में आबरू फिसल गयी ll
अवरुद्ध संकरी गलीया भटक गयी थी सफर की डोर l
चाँद वो नजर आया नहीं छुपा था जो बादलों की ओट ll
धुन्ध में लिपटी थी फलक तलक इसकी जो बारिशें l
धुँआ धुआँ हो बिखर गयी थी गुल की सारी नवाजिशें ll
फेहरिस्त लंबी थी इस सफर के उन गुलजारों की l
भटकते कदमों के घायल गुलजार अरमानों की ll
पग पग स्वाँग रचा रखा था राहों ने हर उस मोड़ पर l
भ्रमित हो मुकाम बदल लिया क़दमों ने जिस ढोर पर ll
ना मिटने वाले क़दमों के निशाँ छूटते गए हर तरफ l
मुकाम बस एक मय्सर ना हुआ सफर के इस सफर ll
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल।
ReplyDeleteआदरणीय नीतीश भाई साहब
Deleteसुन्दर प्रेरणादायक शब्दों से उत्साहित करने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार....
सादर
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार
(6-12-21) को
तुमसे ही मेरा घर-घर है" (चर्चा अंक4270)
पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
--
कामिनी सिन्हा
आदरणीया कामिनी दीदी जी
Deleteमेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिये तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ l
आभार
वाह!बहुत सुंदर सृजन।
ReplyDeleteसादर
आदरणीया अनीता दीदी जी
Deleteसुन्दर प्रेरणा दायक शब्दों से होंसला अफजाई के तहे दिल से आपका शुक्रिया
सादर
धुन्ध में लिपटी थी फलक तलक इसकी जो बारिशें l
ReplyDeleteधुँआ धुआँ हो बिखर गयी थी गुल की सारी नवाजिशें ll
.. शानदार शेर । पूरी गजल लाजवाब ।
आदरणीया जिज्ञासा दीदी जी
Deleteसुन्दर प्रेरणा दायक शब्दों से होंसला अफजाई के तहे दिल से आपका शुक्रिया
सादर
शानदार शेर हैं सभी ...
ReplyDeleteआदरणीय दिगंबर भाई साहब
Deleteसुन्दर प्रेरणादायक शब्दों से उत्साहित करने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार....
सादर
उम्दा भावों की उम्दा अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteसुंदर ग़ज़ल।
आदरणीया कुसुम दीदी जी
Deleteसुन्दर प्रेरणा दायक शब्दों से होंसला अफजाई के तहे दिल से आपका शुक्रिया
सादर