Sunday, December 5, 2021

मुकाम

सफर के हर पड़ाव कदम मुकाम बदलते गये l
निशाँ अपनी फितरतों के हर और छोड़ते गये ll

इतने लग गये इसके दामन के दरमियाँ  बदरंगें से दाग l
मैला हो आँचल तार तार हो गये इसके पहलू एक साथ ll

नादानीयॉ उस रुखसार की शिकस्त ऐसी दे गयी l
अधूरे मशवरे की खींचतान में आबरू फिसल गयी ll

अवरुद्ध संकरी गलीया भटक गयी थी सफर की डोर l
चाँद वो नजर आया नहीं छुपा था जो बादलों की ओट ll

धुन्ध में लिपटी थी फलक तलक इसकी जो बारिशें l
धुँआ धुआँ हो बिखर गयी थी गुल की सारी नवाजिशें ll

फेहरिस्त लंबी थी इस सफर के उन गुलजारों की l
भटकते कदमों के घायल गुलजार अरमानों की ll

पग पग स्वाँग रचा रखा था राहों ने हर उस मोड़ पर l
भ्रमित हो मुकाम बदल लिया क़दमों ने जिस ढोर पर ll

ना मिटने वाले क़दमों के निशाँ छूटते गए हर तरफ l
मुकाम बस एक मय्सर ना हुआ सफर के इस सफर ll

12 comments:

  1. बहुत खूबसूरत ग़ज़ल।

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    1. आदरणीय नीतीश भाई साहब
      सुन्दर प्रेरणादायक शब्दों से उत्साहित करने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार....
      सादर

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  2. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार
    (6-12-21) को
    तुमसे ही मेरा घर-घर है" (चर्चा अंक4270)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

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    1. आदरणीया कामिनी दीदी जी
      मेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिये तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ l
      आभार

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  3. वाह!बहुत सुंदर सृजन।
    सादर

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    1. आदरणीया अनीता दीदी जी
      सुन्दर प्रेरणा दायक शब्दों से होंसला अफजाई के तहे दिल से आपका शुक्रिया
      सादर

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  4. धुन्ध में लिपटी थी फलक तलक इसकी जो बारिशें l
    धुँआ धुआँ हो बिखर गयी थी गुल की सारी नवाजिशें ll
    .. शानदार शेर । पूरी गजल लाजवाब ।

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    1. आदरणीया जिज्ञासा दीदी जी
      सुन्दर प्रेरणा दायक शब्दों से होंसला अफजाई के तहे दिल से आपका शुक्रिया
      सादर

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  5. शानदार शेर हैं सभी ...

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    1. आदरणीय दिगंबर भाई साहब
      सुन्दर प्रेरणादायक शब्दों से उत्साहित करने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार....
      सादर

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  6. उम्दा भावों की उम्दा अभिव्यक्ति।
    सुंदर ग़ज़ल।

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    1. आदरणीया कुसुम दीदी जी
      सुन्दर प्रेरणा दायक शब्दों से होंसला अफजाई के तहे दिल से आपका शुक्रिया
      सादर

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