शिद्धत से तलाशता फिरा जिस सकून को l
मुद्दतों बाद थपकी
दे सुला गया
जो मुझको ll
सनक थी इसके
दुलार के उस मीठी खनकार की l
नींदों के आगोश
में लोरी सुना सुला
गयी जो मुझको ll
अस्तित्व ख्वाबों की उन
बिछडी खोई नींदो का
l
वज़ूद ढूंढ रही अपना पलकों में ढलती
रातों का ll
दस्तक थी उन
उनींदी उनींदी दरख़ास्तों की
l
दस्तखत दे गयी
पलकों पे जो
अपने नामों की
ll
मुनासिब थी वर्षों से जगी इन पलकों
की भी रजामंदी
l
झपकी इसकी पल में दे
गयी जीवन भर
की मस्ती ll
लयवद्ध हो गया मेरा सम्पूर्ण सपनों का शहर l
पहलू में नीँदों की आ मिला जो मुझसे बिछड़ा पहर ll
मग्न हो गयी पलकों बीच आँखे इस कदर l
बेखबर बेसुध हो सो गयी सपनों की डगर ll
बहुत ही सुन्दर सृजन।
ReplyDeleteआदरणीय शिवम् भाई साहब
Deleteसुन्दर प्रेरणादायक शब्दों से उत्साहित करने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार....
सादर
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार
(21-11-21) को "प्रगति और प्रकृति का संघर्ष " (चर्चा - 4255) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
--
कामिनी सिन्हा
आदरणीया कामिनी दीदी जी
Deleteमेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिये तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ l
आभार
बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteआदरणीया जिज्ञासा दीदी जी
Deleteसुन्दर प्रेरणा दायक शब्दों से होंसला अफजाई के तहे दिल से आपका शुक्रिया
सादर
भावनाओं से ओतप्रोत बहुत ही सुंदर सृजन
ReplyDeleteआदरणीया मनीषा दीदी जी
Deleteसुन्दर प्रेरणा दायक शब्दों से होंसला अफजाई के तहे दिल से आपका शुक्रिया
सादर
शिद्धत से तलाशता फिरा जिस सकून को l
ReplyDeleteमुद्दतों बाद थपकी दे सुला गया जो मुझको ll
बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण सृजन ।
आदरणीया मीना दीदी जी
Deleteसुन्दर प्रेरणा दायक शब्दों से होंसला अफजाई के तहे दिल से आपका शुक्रिया
सादर
वाह!!!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर एवं भावपूर्ण गजल।
आदरणीया सुधा दीदी जी
Deleteसुन्दर प्रेरणा दायक शब्दों से होंसला अफजाई के तहे दिल से आपका शुक्रिया
सादर
बहुत शानदार!
ReplyDeleteहर शेर लाजवाब।
आदरणीया कुसुम दीदी जी
Deleteसुन्दर प्रेरणा दायक शब्दों से होंसला अफजाई के तहे दिल से आपका शुक्रिया
सादर
सुन्दर
ReplyDeleteआदरणीय सुशील भाई साहब
Deleteसुन्दर प्रेरणादायक शब्दों से उत्साहित करने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार....
सादर
मित्र ,
ReplyDeleteनींदों कि कशमकश
आईये संजोते हम मिलकर रातों को
बंद आंखों में उचकते ख्वावों ...
सुन्दर अति सुन्दर सृजन !
आदरणीय आतिश भाई साहब
Deleteसुन्दर प्रेरणादायक शब्दों से उत्साहित करने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार....
सादर
बहुत खूब ...
ReplyDeleteअच्छे शेर हैं ... जुदा अंदाज़ लिए ...
आदरणीय दिगंबर भाई साहब
Deleteसुन्दर प्रेरणादायक शब्दों से उत्साहित करने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार....
सादर
सुन्दर अति सुन्दर, एक राय मेरी रचना पर भी
ReplyDeleteआदरणीय भाई साहब
Deleteसुन्दर प्रेरणादायक शब्दों से उत्साहित करने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार....
सादर