Thursday, September 9, 2021

दीमक

बदल गयी वो सारी गुलज़ार गालियाँ आज l
मशहूर थी इश्क़ चर्चे से जो कभी सरेआम ll 

दीमक लग गयी उन यादोँ की रंगत को आज l
बहा ले गयी थी अश्क जिसे कभी अपने साथ ll

वीरान अकेला आज उस मकान का वो आलिंद l 
कभी जिसके नूर से चमकती इसकी न्यारी बाती ll

अब ना हवाओं में वो मर्ज ना लबों पे उन लफ्जों का साथ l
वास्ता जिनकी तारुफ़ का गुज़रा था जिन गलियों के पास ll

मेला जमघट लगा था कभी दिलजलों का जहाँ l
दास्ताँ कहने को बचा रहा नहीं वहाँ कोई निशाँ ll

ढह गया उजड़ा खंडहर बदलते वक़्त के साथ l
दीमक लगा गया सहेजी पुरानी यादों के पास ll 

दीमक लगा गया सहेजी पुरानी यादों के पास l
दीमक लगा गया सहेजी पुरानी यादों के पास ll

10 comments:

  1. Replies
    1. आदरणीय सुशील भाई साब
      सुन्दर प्रेरणादायक शब्दों के लिए आपको नमन

      Delete
  2. वाह ..
    खूबसूरत शेर ...
    अच्छे से बाँधा है आपने शेरो में कुछ बातों को ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. आदरणीय दिगंबर भाई साब
      सुन्दर प्रेरणादायक शब्दों के लिए आपको नमन

      Delete
  3. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(११-०९-२०२१) को
    'मेघ के स्पर्धा'(चर्चा अंक-४१८४)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

    ReplyDelete
    Replies
    1. आदरणीया अनीता दीदी जी
      मेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिये तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ l
      आभार

      Delete
  4. उम्मीद करते हैं आप अच्छे होंगे

    हमारी नयी पोर्टल Pub Dials में आपका स्वागत हैं
    आप इसमें अपनी प्रोफाइल बिना किसी लगत के बनके अपनी कविता , कहानी प्रकाशित कर सकते हैं, फ्रेंड बना सकते हैं, एक दूसरे की पोस्ट पे कमेंट भी कर सकते हैं,
    Create your profile now : Pub Dials

    ReplyDelete
  5. सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीय । बहुत बधाइयाँ ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आदरणीय दीपक भाई साब
      सुन्दर प्रेरणादायक शब्दों के लिए आपको नमन

      Delete