उस अधूरे बेरंग बिखरे पते पर l
अर्ज़ियाँ डाली इन तन्हाइयों ने ll
आहटें हलकी थी इनके अल्फ़ाज़ों की l
दस्तक चुप चुप थी इनके हुँकारों की ll
फिरा ले उन्हें डाकिया हर गली गली l
मिला ना ठिकाना उसे किसी गली भी ll
सादे कागज़ बिन कलम लिखी लिखावट l
जुड़ी हुई थी यह दिल लहू अक्षरों नाज़ से ll
वसीयत यह उस विरासत अकेली की l
मर्म जब जब पढ़ूँ उस रात अकेली की ll
नदारद आकांक्षाएँ इन खोई अर्जियों की l
ढूँढती फिर रही पता अपनी मर्ज़ियों की ll
सो गुम हो गयी थी अर्ज़ियाँ भी उस पते की l
तन्हाईयों ने भेजी उस अधूरे बिखरे पते की ll
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 28 सितम्बर 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआदरणीया यशोदा दीदी जी
Deleteमेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिये तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ l
आभार
वाह। अहसासों का सुंदर सृजन।
ReplyDeleteआदरणीया जिज्ञासा दीदी जी
Deleteसुन्दर प्रेरणादायक शब्दों से उत्साहित करने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार....
सादर
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (29-09-2021) को चर्चा मंच "ये ज़रूरी तो नहीं" (चर्चा अंक-4202) पर भी होगी!
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि
आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर
चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और
अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आदरणीय शास्त्री सर
Deleteमेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिये तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ l
आभार
सो गुम हो गयी थी अर्ज़ियाँ भी उस पते की l
ReplyDeleteतन्हाईयों ने भेजी उस अधूरे बिखरे पते की ll
बहुत खूब !सादर नमन
आदरणीया कामिनी दीदी जी
Deleteसुन्दर प्रेरणादायक शब्दों से उत्साहित करने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार....
सादर
बढ़िया है जी। बधाई आपको।
ReplyDeleteआदरणीय वीरेन्द्र भाई साहब
Deleteसुन्दर प्रेरणादायक शब्दों से उत्साहित करने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार....
सादर
बहुत ही सुंदर सराहनीय सृजन।
ReplyDeleteसादर
आदरणीया अनीता दीदी जी
Deleteसुन्दर प्रेरणादायक शब्दों से उत्साहित करने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार....
सादर
वाह! शानदार!
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना।
आदरणीया कुसुम दीदी जी
Deleteसुन्दर प्रेरणादायक शब्दों से उत्साहित करने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार....
सादर