मैं मौन स्तब्ध नथनी से जो टकरा गया जब l
ज़िक्र अल्फ़ाज़ों में उसका ही ठहर गया तब ll
बारिश रहमत मोहब्बत की लगी बरसने तब l
पायल उसकी मुस्करा दिल तार छू गयी जब ll
अजनबी आँखों से छलका गयी ऐसा मीठा ज़हर l
रोम रोम तर गया उस मदहोश मधुशाला मयस्सर ll
हौले से फुसफुसा कर्णफूल बजे जो एक साथ l
छेड़ गए दिल की दरिया में उफनते तरंग राग ll
शायर की शायरी सी खनकती हाथों की उसकी चूड़ियाँ l
दिवा स्वप्न सी रचा गयी रंगीन तिल्सिम की दुनिया ll
उलझी उलझी लटों के केशों में सजी वेणी उसकी l
पूर्णविराम नवाज़ गयी मेरे अधूरे यौवन अंक को ll
सुध बुध खो बूत बन खो गया उस मधुवन में l
निगाहें पलकों में कैद हो गयी जिस उपवन में ll
वाह! 👌
ReplyDeleteबहुत सुंदर♥️
आदरणीय शिवम् भाई साहब
Deleteसुन्दर प्रेरणादायक शब्दों से उत्साहित करने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार....
सादर
सुंदर
ReplyDeleteआदरणीय सुशील भाई साहब
Deleteसुन्दर प्रेरणादायक शब्दों से उत्साहित करने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार....
सादर
वाह!बहुत ही सुंदर....
ReplyDeleteआदरणीया मनीषा दीदी जी
ReplyDeleteसुन्दर प्रेरणादायक शब्दों से उत्साहित करने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार....
सादर
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (19-9-21) को "खेतों में झुकी हैं डालियाँ" (चर्चा अंक-4192) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
------------
कामिनी सिन्हा
आदरणीया कामिनी दीदी जी
Deleteमेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिये तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ l
आभार
वाह हर शेर बोलता सा ।
ReplyDeleteउम्दा ग़ज़ल।
आदरणीया कुसुम दीदी जी
Deleteसुन्दर प्रेरणादायक शब्दों से उत्साहित करने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार....
सादर
सुंदर सृजन आदरणीय ।
ReplyDeleteआदरणीय दीपक भाई साहब
Deleteसुन्दर प्रेरणादायक शब्दों से उत्साहित करने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार....
सादर
शायर की शायरी सी खनकती हाथों की उसकी चूड़ियाँ l
ReplyDeleteदिवा स्वप्न सी रचा गयी रंगीन तिल्सिम की दुनिया ll
वाह!!!
बहुत सुन्दर।
आदरणीया सुधा दीदी जी
Deleteसुन्दर प्रेरणादायक शब्दों से उत्साहित करने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार....
सादर