Wednesday, August 4, 2021

आईना

आईना हमने भी देखा हैं करीब से गुजरते हुए    
तेरी हुस्न तपिश में जल मोम सा पिघलते हुए 

वाकिफ़ ज़माना रहा परदानशीन तेरे हुस्नों अंदाज़ से 
नज़रें मिलायी हटा हिज़ाब सिर्फ तूने दर्पण यार से 

आये तुम जब कभी इस अंजुमन की छावं में 
चाँद ईद का निकल आया जैसे अमवास रात में 

रंगीन चूड़ियाँ काँच की मिली जब काँच से 
चटक गयी कोर आईने की तेरी झंकार से 

सिर्फ तेरा ही चेहरा नज़र आया आईने को 
अपने बदले बदले हुए दर्पण अक्स राग में

टूट बिखरा आईना जब छोटी छोटी धार में  
तस्वीर तेरी ही उभरी तब भी इसके आगाज़ में 

16 comments:

  1. बहुत ही बढ़िया कहा । उम्दा लेखन ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आदरणीया अमृता दीदी जी
      सुन्दर प्रेरणादायक शब्दों के लिए आपको नमन

      Delete
  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(०५-०८-२०२१) को
    'बेटियों के लिए..'(चर्चा अंक- ४१४७)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

    ReplyDelete
    Replies
    1. आदरणीया अनीता दीदी जी
      मेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिए आपको नमन

      Delete
  3. Replies
    1. आदरणीय सुशील भाई साब
      सुन्दर प्रेरणादायक शब्दों के लिए आपको नमन

      Delete
  4. वाह!! लाजवाब..
    टूट बिखरा आईना जब छोटी छोटी धार में ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आदरणीया पम्मी दीदी जी
      सुन्दर प्रेरणादायक शब्दों के लिए आपको नमन

      Delete
  5. बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
    Replies
    1. आदरणीय ओंकार भाई साब
      सुन्दर प्रेरणादायक शब्दों के लिए आपको नमन

      Delete
  6. सिर्फ तेरा ही चेहरा नज़र आया आईने को
    अपने बदले बदले हुए दर्पण अक्स राग में---बहुत खूब...। वाह

    ReplyDelete
    Replies
    1. आदरणीय संदीप भाई साब
      सुन्दर प्रेरणादायक शब्दों के लिए आपको नमन

      Delete
  7. बहुत खूब ..
    इस बदलते आईने से क्या पूछें सच कहता है के फरेब ...
    जो कहता है सच तो वाही होता है ...
    अच्छे शेर हैं ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. आदरणीय दिगम्बर भाई साब
      सुन्दर प्रेरणादायक शब्दों के लिए आपको नमन

      Delete
  8. Replies
    1. आदरणीय आलोक भाई साब
      सुन्दर प्रेरणादायक शब्दों के लिए आपको नमन

      Delete