कुछ रिश्ते अनाम अनजाने से होते हैं l
सिर्फ ख्यालों में सपने पिरोने आते हैं ll
दायरे इनके सिमटे सिमटे नज़र आते हैं l
नींदों में चिलमन इनके गुलज़ार हो आते हैं ll
तसब्बुर में इनकी खाब्ब ऐसे घुल मिल जाते हैं l
जन्नत के उन पल खुली पलकें ही सो जाते हैं ll
परछाइयाँ मेहरम इनकी इस कदर चले आते हैं l
धागे रिश्तें इनसे खुद ही खुद जुड़ते चले जाते हैं ll
खाब्ब कभी नींदों से जो खफा हो जाते हैं l
हलचल दिलजलों सी पीछे छोड़ जाते हैं ll
गुज़ारिश रही नींदो की ख़ब्बों के दरमियाँ l
उम्र मुकमल होती नहीँ इन रिश्तोँ के बिना ll
आरज़ू इनके साँसों की पलकों के खाब्बों की l
मियाद सजी रहे अनजाने रिश्तों खाब्बों की ll
बहुत खूब
ReplyDeleteआदरणीया संगीता दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
सादर
वाह
ReplyDeleteआदरणीय सुशील भाई जी
Deleteमेरी रचना को पसंद करने के लिए शुक्रिया
सादर
बेहतरीन।🌼♥️
ReplyDeleteआदरणीय शिवम् भाई जी
Deleteमेरी रचना को पसंद करने के लिए शुक्रिया
सादर
नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (19-07-2021 ) को 'हैप्पी एंडिंग' (चर्चा अंक- 4130) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
आदरणीय रवीन्दर् जी
Deleteमेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिए शुक्रिया
सादर
सर आपकी इस रचना की तारीफ़ के लिए मेरे पास सिर्फ एक ही शब्द है और वो है निशब्द!
ReplyDeleteआदरणीया मनीषा दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
सादर
बहुत ही सुंदर सृजन।
ReplyDeleteसादर
आदरणीया अनीता दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
सादर
बहुत सुंदर सृजन।
ReplyDeleteआदरणीया ज्योति दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
सादर
वाह बहुत सुंदर।
ReplyDeleteआदरणीया श्बेता दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
सादर
बहुत ही बढ़िया ।
ReplyDeleteआदरणीया अमृता दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
सादर
बहुत सुंदर रचना।
ReplyDeleteआदरणीया अनुराघा दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
सादर
लाजवाब सृजन।
ReplyDeleteआदरणीया जिज्ञासा दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
सादर
गुज़ारिश रही नींदो की ख़ब्बों के दरमियाँ l
ReplyDeleteउम्र मुकमल होती नहीँ इन रिश्तोँ के बिना ll सुंदर सृजन...
आदरणीय संदीप जी
Deleteमेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिए शुक्रिया
सादर
बहुत सुन्दर सृजन
ReplyDeleteआदरणीया दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
सादर
वाह!बहुत ही सुंदर सृजन।
ReplyDeleteसादर
कुछ रिश्ते अनाम अनजाने से होते हैं l
ReplyDeleteसिर्फ ख्यालों में सपने पिरोने आते हैं ll
भावों में पगी रचना प्रिय मनोज जी |सस्नेह शुभकामनाएं| यूँ ही लिखते रहिये |
आदरणीया रेणु दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
सादर
बहुत बहुत सुन्दर
ReplyDeleteआदरणीय आलोक भाई साब
Deleteसुन्दर प्रेरणादायक शब्दों के लिए आपको नमन