गूँथ डाली तेरे
गुलाबों से महकते
पैगाम ने l
जुल्फों में उलझे
उलझे गजरे के
प्याम ने ll
लावण्य यौवन करवटें
बदलती रातों में l
घूँघट में ना
हो नूर बहकते
आफ़ताब के ll
मधुशाला बहती रहे
नयनो के जाम
से l
मदहोश रहे सपनों
के हसीं संसार
में ll
संगीत स्वर लहरी
लिए दिल के
अरमानों से l
खनकती रहे चूड़ियाँ
प्यार के इस
व्यार में ll
डूबे इस कदर
साँसों की सरगम
ताल में
ऐसे l
आलिंगन बना रहे
धडकनों की मीठी साजिशों में ll
सप्तरंगी रंगो से
सजी इस अतरंग
कहानी में l
घुलती रहे चासनी अरमानों
की अंतर्मन नादानियों में ll
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जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०५ -०६-२०२१) को 'बादल !! तुम आते रहना'(चर्चा अंक-४०८७) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
आदरणीया अनीता दीदी जी
Deleteमेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिए शुक्रिया
सादर
बहुत बढ़िया सर!
ReplyDeleteआदरणीय यशवंत भाई जी
Deleteमेरी रचना को पसंद करने के लिए शुक्रिया
सादर
संगीत स्वर लहरी लिए दिल के अरमानों से l
ReplyDeleteखनकती रहे चूड़ियाँ प्यार के इस व्यार में
वाह!!!
बहुत ही सुन्दर सृजन।
आदरणीया सुधा दीदी जी
Deleteमेरी रचना को पसंद करने के लिए शुक्रिया
सादर
संगीत स्वर लहरी लिए दिल के अरमानों से l
ReplyDeleteखनकती रहे चूड़ियाँ प्यार के इस व्यार में ll
वाह !! बहुत खूब... लाज़बाब....
आदरणीया कामिनी दीदी जी
Deleteमेरी रचना को पसंद करने के लिए शुक्रिया
सादर
आदरणीय ओंकार भाई जी
ReplyDeleteमेरी रचना को पसंद करने के लिए शुक्रिया
सादर
उम्दा!
ReplyDeleteश्रृंगार से ओतप्रोत, अस्आर।
सुंदर सृजन।
आदरणीया दीदी जी
Deleteमेरी रचना को पसंद करने के लिए शुक्रिया
सादर
उम्दा
ReplyDeleteआदरणीया सुनीता दीदी जी
Deleteमेरी रचना को पसंद करने के लिए शुक्रिया
सादर
लाजवाब।
ReplyDeleteआदरणीय शिवम् भाई जी
Deleteमेरी रचना को पसंद करने के लिए शुक्रिया
सादर
हमेशा की तरह भावों व शब्दों का सौंदर्य बिखेरती रचना मुग्ध करती है।
ReplyDeleteआदरणीय शांतनु भाई जी
Deleteमेरी रचना को पसंद करने के लिए शुक्रिया
सादर