पन्ने बंद कितबों के जो पलटे l
अलमारी खुल गयी यादों की ll
गाँठ खुलते ही पोटली की l
गठरी खनक गयी जोरों से ll
अब तलक जो कैद थी पिटारे में l
बिखर गईं मोतियों के साज सी ll
वो पुरानी मीठी मीठी बातें l
लुके छिपे सूखे फूलों के साये ll
चुराई थी खत से उसकी जो बातें l
छप गयी पन्नों में वो सब बातें ll
बिसर गयी थी जो किताब कल कहीं l
मिली क्यों वो जब थी एक दीवार खड़ी ll
पन्ने इसके कुछ नदारद थे l
अंजाम दूर खड़े मुस्करा रहे थे ll
जिल्द उतर गयी थी किताबों की l
अधूरी यादें बन गयी पहेली सी थी ll
किरदार एक मैं भी था इसका l
कहानी वो मेरी ही सुना रही थी ll
बहुत खूब ...
ReplyDeleteमन के भाव को शब्द देने का अच्छा प्रयास है ... सुन्दर शेर हैं सभी ...
आदरणीय दिगंबर जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
सादर
वाह, बहुत सुंदर लिखा है आपने
ReplyDeleteआदरणीय शिवम् जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
सादर
सुंदर लाजवाब शेरों से सजी गजल ।
ReplyDeleteआदरणीया जिज्ञासा दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
सादर
यादों की आलमारी में यादों भरी डायरी...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर भावपूर्ण सृजन।
आदरणीया सुधा दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
सादर
बहुत सुन्दर भावों की अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteआदरणीया मीना दीदी जी
ReplyDeleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
सादर