दुरस्त गुजर रही थी जिंदगी अकेले में l
क़त्ल कर दिया हसीन खाब्बों के मेलों ने ll
गुनाह हो गया बेबाक़ी निगाहों से l
रिहा कैसे हो उन उम्र कैद बंदिशों से ll
चाँद नज़र आया एक शाम मेरे आँगन में l
चल पड़ा वो भी दिल कारवें संग राहों में ll
मुक़ाम वो आ गया चौराहा ओर करीब आ गया l
सिर्फ अर्ध चाँद का साया रह गया इस मंज़िल पास ll
आहटों से रसिक इस कदर रहा बेख़बर l
आसमां डूबा ले गया चाँद घटाओं के पास ll
बिसर गया पथिक निकला था किस सफर l
कर बैठे गुनाह उसके मासूम से हमकदम ll
क़त्ल हो गया अरमानों के तसब्बुर का l
गुनहगार बन गया टूटे दिल ख्यालों का ll
आहटों से रसिक इस कदर रहा बेख़बर l
ReplyDeleteआसमां डूबा ले गया चाँद घटाओं के पास ll
बिसर गया पथिक निकला था किस सफर l
कर बैठे गुनाह उसके मासूम से हमकदम ll बहुत खूब...।
आदरणीय संदीप जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया
सादर
बेहतरीन।
ReplyDeleteआदरणीय शिवम् जी
Deleteबहुत बहुत शुक्रिया
सादर
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 27-05-2021को चर्चा – 4,078 में दिया गया है।
ReplyDeleteआपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
धन्यवाद सहित
दिलबागसिंह विर्क
आदरणीय दिलबाग जी
Deleteमेरी रचना को अपना मंच प्रदान कर इससे जनमानस तक पहुँचाने के लिए शुक्रिया .....मैं भी अवश्य पधारूँगा
सादर
मनोज क्याल
लाजवाब अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteआदरणीया जिज्ञासा दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के तहे दिल से शुक्रिया
सादर
मनोज
आदरणीय रोहीतास जी
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया
सादर
बेहतरीन रचना
ReplyDeleteआदरणीया सरिता दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के तहे दिल से शुक्रिया
सादर
मनोज
चाँद नज़र आया एक शाम मेरे आँगन में l
ReplyDeleteचल पड़ा वो भी दिल कारवें संग राहों में ll
वाह!!!
बहुत ही सुन्दर।
आदरणीया सुधा दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के तहे दिल से शुक्रिया
सादर
मनोज
👌👌वाह! बहुत ही बेहतरीन 👌👌👌
ReplyDeleteआदरणीया मनीषा दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के तहे दिल से शुक्रिया
सादर
मनोज
क़त्ल हो गया अरमानों के तसब्बुर का l
ReplyDeleteगुनहगार बन गया टूटे दिल ख्यालों का ll
सुन्दर...
आदरणीय विकास जी
Deleteबहुत बहुत शुक्रिया
सादर
चाँद नज़र आया एक शाम मेरे आँगन में l
ReplyDeleteचल पड़ा वो भी दिल कारवें संग राहों में ll
बहुत खूब !!एक से बढ़कर एक शेर,लाज़बाब....
आदरणीया कामिनी दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के तहे दिल से शुक्रिया
सादर
मनोज
वाह! बहुत खूब।
ReplyDeleteउम्दा शेर ।
आदरणीया दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के तहे दिल से शुक्रिया
सादर
मनोज
अति सुन्दर ।
ReplyDeleteआदरणीया मीना दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के तहे दिल से शुक्रिया
सादर
मनोज
बहुत खूब ...
ReplyDeleteहर शेर बेमिसाल, अलग अंदाज़ का ... लाजवाब ....
आदरणीय दिगम्बर जी
Deleteआपका बहुत बहुत शुक्रिया
सादर
वाह! बहुत उम्दा.
ReplyDeleteआदरणीया दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के तहे दिल से शुक्रिया
सादर
मनोज