Wednesday, May 12, 2021

रुबाब

स्पर्श था उनकी मीठी मीठी यादों का l
मन्नत की कलाई से बंधे धागों का ll

फ़ितरत धुन थी ही उनकी इतनी नायाब l 
शुमार कर लेती हर पैगाम अपने नाम ll 

सागर मचल रहा था आतुर उस किनारें को l 
ठहर गया था वक़्त आतुर उस साये को ll 

मग्न थी वो तारों के शहर अपने सफ़र में l
ख़बर ना थी मुझको भी अपनी उस पल में ll 

चाह ना पूछना उस माली की अब रुखसार l 
मरुधर आस लगाए बैठा मीठे पानी की धार ll

सिलसिला हैं इंतज़ार की नयी सहर आस l
उड़ा ले जाती पवन बदरी किसी दूजे पास ll

तारीख ने तहरीर लिखी थी उनके आने की l
तसब्बुर में चाहत थी उनके कुर्बत में आने की ll 

संदेशा आया फलक तक हमसफ़र सितारों की l
आफ़ताब भी फ़ना हैं इसके रुबाब नज़रों की ll

18 comments:

  1. चाह ना पूछना उस माली की अब रुखसार l
    मरुधर आस लगाए बैठा मीठे पानी की धार ll

    बहुत खूब,सादर नमन आपको

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    1. आदरणीया कामिनी दीदी जी

      हौशला अफ़ज़ाई के तहे दिल से शुक्रिया

      सादर

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  2. वाह ... बहुत खूब ।। क्या कहने रुबाब नज़रों के ।

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    1. आदरणीया संगीता दीदी जी
      हौशला अफ़ज़ाई के तहे दिल से शुक्रिया
      सादर

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  3. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 13-05-2021को चर्चा – 4,064 में दिया गया है।
    आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
    धन्यवाद सहित
    दिलबागसिंह विर्क

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    1. आदरणीय दिलबाग जी
      मेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया
      सादर

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  4. बहुत खूब ...
    सभी शेर बहुत अच्छे हैं ... अलग अंदाज़ लिए ...

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    1. आदरणीय दिगंबर जी
      बहुत बहुत शुक्रिया
      सादर

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  5. वाह,क्या खूब लिखा है आपने।

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    1. आदरणीय शिवम् जी
      बहुत बहुत शुक्रिया
      सादर

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  6. स्पर्श था उनकी मीठी मीठी यादों का l
    मन्नत की कलाई से बंधे धागों का ll
    फ़ितरत धुन थी ही उनकी इतनी नायाब l
    शुमार कर लेती हर पैगाम अपने नाम ll
    सुंदर अंदाजे बयां मनोज जी | प्रेमिल भावनाओं का मधुर शब्दांकन | हार्दिक शुभकामनाएं| अच्छा लिख रहे हैं आप |

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  7. आदरणीया रेणु दीदी जी
    हौशला अफ़ज़ाई के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया
    सादर

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  8. बहुत सुंदर रचना।

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    1. आदरणीया ज्योति दीदी जी
      हौशला अफ़ज़ाई बहुत बहुत शुक्रिया
      सादर

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  9. बेहतरीन रचना।

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    1. आदरणीया अनुराधा दीदी जी
      हृदयतल से आपका शुक्रिया
      सादर

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  10. चाह ना पूछना उस माली की अब रुखसार l
    मरुधर आस लगाए बैठा मीठे पानी की धार ll

    सिलसिला हैं इंतज़ार की नयी सहर आस l
    उड़ा ले जाती पवन बदरी किसी दूजे पास ll---बहुत खूब मनोज जी।

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    1. आदरणीय संदीप जी
      हौशला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया
      सादर

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