देख चाँद की हिरणी सी मतवाली चाल l
शरमा पनघट करली घूँघट आट ll
आँख मिचौली नज़र नायाब l
बादलों की ओट छिप रहा महताब ll
बिंदिया सा सज रहा पनघट के ललाट l
प्रतिबिम्ब निखर रहा दरिया के गाल ll
उड़ रहा घूँघट आँचल दामन थाम l
बरस रही बदरी भींग रहा आफताब साथ ll
झुक गयी पलकें लज्जा गया पनघट ताज l
आसमां से धरती उतर आया दिल का चाँद ll
दरिया के उस छोर चाँद और पनघट साथ l
रास की रात सितारों संग चला आया चाँद ll
देख चाँद की हिरणी सी मतवाली चाल l
शरमा पनघट करली घूँघट आट ll
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति । हार्दिक शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteआदरणीया अमृता दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए हृदयतल से शुक्रिया
सादर
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteआदरणीया मीना दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए हृदयतल से शुक्रिया
सादर
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (04-04-2021) को "गलतफहमी" (चर्चा अंक-4026) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
--
आदरणीय शास्त्री सर
Deleteहौशला अफ़ज़ाई एवं मेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिए दिल से धन्यवाद
आभार
बहुत अच्छी रचना की है मनोज जी आपने । सीधे आपके हृदय के तल से उठी मालूम होती है ।
ReplyDeleteआदरणीय जीतेन्द्र भाई साब
Deleteसच कहुँ तो गुज़रे लम्हे तस्वीर बन उभर आते है , शब्द कम है आपका शुक्रिया कहने को, दिल से आभार
मन के भावों को उतार दिया है ।सुंदर
ReplyDeleteआदरणीया संगीता दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए हृदयतल से शुक्रिया
सादर
सुंदर भावों को खूबसूरती से लिखा है आपने,नायाब अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteआदरणीया जिज्ञासा दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए हृदयतल से शुक्रिया
सादर
बहुत बहुत सुन्दर सराहनीय रचना
ReplyDeleteआदरणीय आलोक जी
Deleteहृदयतल से शुक्रिया
सादर
पनघट को प्रतीक रख सुंदर श्रृंगार सृजन किया हैं आपने।
ReplyDeleteसुंदर उपमाएं।
आदरणीया कुसुम दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए हृदयतल से शुक्रिया
सादर
बेहद खूबसूरत रचना
ReplyDeleteवाह
आदरणीय खरे जी
Deleteहृदयतल से शुक्रिया
सादर
बहुत सुंदर।
ReplyDeleteआदरणीया दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए हृदयतल से शुक्रिया
सादर
पनघट पर सुंदर शेर प्रिय मनोज | चित्रात्मकता की धनी आपकी कलम काव्य चित्र रचने में निपुण हैं | इस पुआरी सी रचना के लिए मेरी शुभकामनाएं| बहुत बढिया लिखा आपने |
ReplyDeleteआँख मिचौली नज़र नायाब l
बादलों की ओट छिप रहा महताब ll
बिंदिया सा सज रहा पनघट के ललाट l
प्रतिबिम्ब निखर रहा दरिया के गाल ll
वाह !!!!!!!!!!!!!
आदरणीया रेणु दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया
सादर