माना बंदिशे हज़ारों हैं दिल की राहों में l
कुछ और नहीं तो खाब्बों में आ जाया करो ll
ख्यालों की गुलाबी घटाओं में रंग जाओ ऐसे l
संदेशों में मचल रहा हो कोई नादान समंदर जैसे ll
शहद सी मिठास घुली धुन बन उतर आओ ऐसे l
साज़ सा पिरो लूँ साँसों की इन सरगम में ऐसे ll
सँवार लूँ सपनों की इस अनछुई जागीर को वैसे l
पनाह मिली हो उलझे धागों की कमान को जैसे ll
चाँद सी अनबुझ पहेली बने इन रिश्तों में l
तारों से इशारों में हौले से पैगाम यह कह दो ll
ढलती साँझ सा हसीन इकरार हो l
करार अपना सबसे बेमिसाल हो ll
सिफ़ारिश कर दो अपनी अतरंगी साँसों से ऐसे l
धड़के सिर्फ मेरी रूह की आरज़ू बन जाये ऐसे ll
धड़के सिर्फ मेरी रूह की आरज़ू बन जाये ऐसे l
धड़के सिर्फ मेरी रूह की आरज़ू बन जाये ऐसे ll
ढलती साँझ सा हसीन इकरार हो l
ReplyDeleteकरार अपना सबसे बेमिसाल हो ll
वाह!!!
बहुत सुंदर सृजन।
आदरणीया सुथा दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया l
शुक्रिया
आभार
वाह
ReplyDeleteआदरणीय सुशील जी
Deleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद
आभार
बहुत बढ़िया है। बधाई आपको।
ReplyDeleteआदरणीय विरेन्दर् जी
Deleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद
आभार
बहुत ही सुंदर सृजन।
ReplyDeleteसादर
आदरणीया अनीता दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
आभार
बहुत सुन्दर नज़्म।
ReplyDeleteआदरणीय शास्त्री जी
Deleteमेरी रचना पसंद करने के लिए शुक्रिया
आभार
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 18 जनवरी 2021 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआदरणीया यशोदा दीदी जी
Deleteमेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिए शुक्रिया
आभार
ख़्वाबों में आ जाया करो ...
ReplyDeleteहर बंध खूबसूरत ... कमाल का है ...
आदरणीय नासवा जी
Deleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद
आभार
वाह! कायल हो गए हम आपके। बहुत उम्दा।
ReplyDeleteआदरणीय विश्वमोहन जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
आभार
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (19-1-21) को "जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि"(चर्चा अंक-3951) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
कामिनी सिन्हा
आदरणीया कामिनी दीदी
Deleteमेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
आभार
बहुत सुंदर, नायाब ग़ज़ल..
ReplyDeleteआदरणीया जिज्ञासा दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
आभार
वाहः.. सुन्दर सृजन
ReplyDeleteबधाई
आदरणीया विभा दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
आभार
बहुत सुंदर सृजन।
ReplyDeleteआदरणीया ज्योति दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
आभार
नायाब ग़ज़ल।
ReplyDeleteआदरणीया पम्मी दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
आभार
बहुत ही सुन्दर रचना।
ReplyDeleteआदरणीय शांतनु जी
ReplyDeleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
आभार
वाह...
ReplyDeleteबहुत ख़ूब
आदरणीया वर्षा दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
आभार
बहुत बहुत सराहनीय
ReplyDeleteआदरणीय आलोक जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
आभार
ढलती साँझ सा हसीन इकरार हो l
ReplyDeleteकरार अपना सबसे बेमिसाल हो ll
बहुत खूब!!
लाजवाब सृजन ।
आदरणीया मीना दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
आभार
वाह सुंदर रचना
ReplyDeleteआदरणीया सरिता दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
आभार
दिल से निकली यह काव्य-रचना मनोज जी । बहुत ख़ूब !
ReplyDeleteआदरणीय जितेन्द्र जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
आभार
वाह
ReplyDeleteबहुत सुंदर
बधाई
Deleteआदरणीय खरे जी
हौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
आभार
बेहतरीन लफ्ज़ ।
ReplyDeleteआदरणीया अमृता दीदी जी
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद
आभार
सँवार लूँ सपनों की इस अनछुई जागीर को वैसे l
ReplyDeleteपनाह मिली हो उलझे धागों की कमान को जैसे ll
सुंदर..
आदरणीया दीदी जी
Deleteहौशला अफजाई के लिए दिल से शुक्रिया
आभार
बहुत खूब, बधाई हो आपको
ReplyDeleteआदरणीया ज्योति दीदी जी
Deleteहौशला अफ़ज़ाई के लिए दिल से शुक्रिया
आभार