माना बंदिशे हज़ारों हैं दिल की राहों में l
कुछ और नहीं तो खाब्बों में आ जाया करो ll
ख्यालों की गुलाबी घटाओं में रंग जाओ ऐसे l
संदेशों में मचल रहा हो कोई नादान समंदर जैसे ll
शहद सी मिठास घुली धुन बन उतर आओ ऐसे l
साज़ सा पिरो लूँ साँसों की इन सरगम में ऐसे ll
सँवार लूँ सपनों की इस अनछुई जागीर को वैसे l
पनाह मिली हो उलझे धागों की कमान को जैसे ll
चाँद सी अनबुझ पहेली बने इन रिश्तों में l
तारों से इशारों में हौले से पैगाम यह कह दो ll
ढलती साँझ सा हसीन इकरार हो l
करार अपना सबसे बेमिसाल हो ll
सिफ़ारिश कर दो अपनी अतरंगी साँसों से ऐसे l
धड़के सिर्फ मेरी रूह की आरज़ू बन जाये ऐसे ll
धड़के सिर्फ मेरी रूह की आरज़ू बन जाये ऐसे l
धड़के सिर्फ मेरी रूह की आरज़ू बन जाये ऐसे ll