लम्हें कुछ खुद से चुरा लाया l
कुछ ख़ुदा से उधार ले आया ll
तुम मिलोगे लम्हों के जिस पल को l
उस पल को जिंदगी की सौग़ात दे आया ll
बेचैन हो रही उम्रदराज लम्हें l
निशा ठिठोली कर रही अधेड़ लम्हें ll
कसूर चमकती राहों में ठहरे पलकों का था वैसे l
लुभा आँख मिचौली खेल रही पलकों का था जैसे ll
नज़र अंदाज़ ना कर पाया उन बीते लम्हों को वैसे l
सुलगा रही चिंगारी अरमानों में नये लम्हों को जैसे ll
करवटें गुमशुम हो गयी इन लम्हों के झरोखों में जैसे l
सूनी थी सेज़ बिन प्रितम खोये खोये इन लम्हों में जैसे ll
कर रहा हूँ बेक़रारी से इंतज़ार आनेवालें उन लम्हों का वैसे l
मिलोगे जब तुम अलविदा कह एकांकी गुजरे लम्हों को जैसे ll
मिलोगे जब तुम अलविदा कह एकांकी गुजरे लम्हों को जैसे l
मिलोगे जब तुम अलविदा कह एकांकी गुजरे लम्हों को जैसे ll
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (17-11-20) को "बदलो जीवन-ढंग"'(चर्चा अंक- 3888) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
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कामिनी सिन्हा
आदरणीया कामिनी दीदी
Deleteमेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
आभार
सुन्दर
ReplyDeleteआदरणीय सुशील जी
Deleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद
आभार
बहुत सुंदर रचना।
ReplyDeleteआदरणीया ज्योती दीदी जी
Deleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद
आभार
लाजवाब।
ReplyDeleteआदरणीय शिवम् जी
Deleteशुक्रिया
आभार
सुन्दर अभिव्यक्ति लम्हों की!
ReplyDeleteआदरणीया ऋता जी
Deleteआपका बहुत बहुत शुक्रिया
आभार
बेहतरीन रचना !!!
ReplyDeleteआदरणीया डाॅ.शरद दीदी
Deleteआपका बहुत बहुत शुक्रिया
आभार
बहुत सुन्दर सृजन ।
ReplyDeleteआदरणीया मीना दीदी जी
Deleteआपका बहुत बहुत शुक्रिया
आभार
बहुत ही सुंदर सृजन।
ReplyDeleteआदरणीया अनीता दीदी जी
Deleteआपका बहुत बहुत शुक्रिया
आभार
बहुत सुन्दर रचना, बधाई.
ReplyDeleteआदरणीया डाॅ.शबनम दीदी
Deleteबहुत बहुत शुक्रिया
आभार
सुन्दर रचना - -
ReplyDeleteआदरणीय शांतनु जी
Deleteशुक्रिया
आभार