बादलों की ओट में ओझल होते हुए चाँद ने l
फ़साना नया बुन दिया पलकों में बोझिल रातों ने ll
रुखसत हो गयी रवायतें मीठी मीठी नींदों की l
पलकें मुकम्मल हो गयी रात सितारों की ll
निगाहों की निगहेंबानी ने छुआ था जिस महताब को l
अंतर्ध्वनि उसकी उड़ा ले गयी नींदों की ढलती रातों को ll
अर्ज़ियाँ लिखी खत लिखें नींद खाब्बों की तहरीर ने l
उतर आ जमीं ए चाँद नूर सौगात की रात ढले ll
गुज़ारिश कर रही नींदे सोऊ ना एक पल तेरे इंतज़ार में l
निहारु ढलती रातों में अक्स बस मेरे अर्ध चाँद के ll
साहिल फनकार मेरे ग़ुरबत चाँद में l
फ़क़त वो चले आये मिटा फासले क़ुरबत राह में ll
तनहा छोड़ गयी नींद अकेली पलकों नाज़ में l
चली आ चाँद संग मक़ाम की सकून भरी रात में ll
वाह 🌻
ReplyDeleteआदरणीय शिवम् जी
Deleteशुक्रिया
आभार
आदरणीया मीना दीदी
ReplyDeleteमेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
आभार
बेहतरीन नज़्म
ReplyDeleteआदरणीय शास्त्री जी
Deleteसर लफ्ज कम हैं, आपसे बहुत कुछ सीखा और आगे सीखना हैं, शुक्रिया सर
आभार
रुखसत हो गयी रवायतें मीठी मीठी नींदों की l
ReplyDeleteपलकें मुकम्मल हो गयी रात सितारों कीll
वाह!!!
लाजवाब सृजन।
आदरणीया सुधा दीदी जी
Deleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद
आभार
तनहा छोड़ गयी नींद अकेली पलकों नाज़ में l
ReplyDeleteचली आ चाँद संग मक़ाम की सकून भरी रात में ll,,,, बहुत ही लाजवाब रचना आप की लेखनी को नमन
आदरणीया मघुलिका दीदी जी
Deleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद
आभार
Bahut hi behtarin Rachna
ReplyDeleteआदरणीय सवाई जी
Deleteशुक्रिया
आभार
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 09 अक्टूबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआदरणीया यशोदा दीदी
ReplyDeleteमेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
आभार
सुन्दर
ReplyDeleteआदरणीय सुशील जी
Deleteसर मेरी रचना पसंद करने के लिए शुक्रिया
आभार
सुन्दर लेखन
ReplyDeleteआदरणीया विभा दीदी
Deleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद
आभार
क्या खूब लिखा है मनोज जी...कि
ReplyDeleteअर्ज़ियाँ लिखी खत लिखें नींद खाब्बों की तहरीर ने,
उतर आ जमीं ए चाँद नूर सौगात की रात ढले ।।...वाह
आदरणीया अलकनंदा दीदी जी
Deleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद
आभार
वाह! उम्दा सृजन।
ReplyDeleteआदरणीय जी
Deleteशुक्रिया
आभार