सुन्दर सलोने अर्ध चाँद का ll
मधुर रस हैं बीना की तान का l
सज रही धुनों की सुन्दर साज का ll
साँझ की धुंध अजान की धुन l
निखार रही रंग अस्त होते आफताब का ll
आलिंगन कर रही क्षितिज छाया l
बेकरार निमंत्रण उस पल पैगाम का ll
आहट खत के पदचापों की l
बंद लिफ़ाफ़े में छिपी खुमारी की ll
दस्तक दे रही जल पानी को l
साँवली सलोनी ढलती रातों को ll
मुग्ध निशा प्रहर ठहर गयी l
सजी रहे जन्नत ताबीर हुस्न नज़ारों की ll
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 24.9.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
ReplyDeleteधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
आदरणीय दिलबाग जी
Deleteमेरी रचना को अपने ब्लॉग पर स्थान देने के लिए दिल से शुक्रिया
आभार
वाहह!! बहुत लाजवाब रचना।
ReplyDeleteआदरणीया पम्मी जी
Deleteहौशला अफजाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया
आभार
वाहह!! बहुत लाजवाब रचना।
ReplyDeleteआदरणीया पम्मी जी
Deleteहौशला अफजाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया
आभार
सुन्दर
ReplyDeleteआदरणीय सुशील जी
Deleteसर आपकी हौशला अफजाई एक नई सुबह लेकर आती है , शुक्रिया सर
आभार
लाजवाब सृजन .
ReplyDeleteआदरणीया दीदी
Deleteआपका बहुत बहुत शुक्रिया
आभार
क्या बात है... उम्दा ।
ReplyDeleteआदरणीया अमृता दीदी
Deleteआपका बहुत बहुत शुक्रिया
आभार
साँझ की धुंध अजान की धुन l
ReplyDeleteनिखार रही रंग अस्त होते आफताब का ll
वाह!!!
बहुत ही लाजवाब सृजन।
आदरणीया सुधा दीदी
Deleteआपका बहुत बहुत शुक्रिया
आभार
बहुत सुन्दर नज्म।
ReplyDeleteआदरणीय शास्त्री जी
Deleteसर्वप्रथम आपका बहुत बहुत धन्यवाद , आपके मार्ग दर्शन के चलते जाने माने साहित्यकार मेरे ब्लॉग पर आ मेरा उत्साह वर्धन कर रहे हैं, सदैव आपका आभारी रहूँगा l
सर मेरी रचना पसंद करने के लिए शुक्रिया l
आभार
सुन्दर रचना
ReplyDeleteआदरणीय हिंदी गुरु जी
Deleteदिल से शुक्रिया
आभार
मुग्ध निशा प्रहर ठहर गयी l
ReplyDeleteसजी रहे जन्नत ताबीर हुस्न नज़ारों की ll,,,,,,, बेहद बेहतरीन,
आदरणीया मधुलिका दीदी
Deleteआपका बहुत बहुत शुक्रिया
आभार