सुन्दर सलोने अर्ध चाँद का ll
मधुर रस हैं बीना की तान का l
सज रही धुनों की सुन्दर साज का ll
साँझ की धुंध अजान की धुन l
निखार रही रंग अस्त होते आफताब का ll
आलिंगन कर रही क्षितिज छाया l
बेकरार निमंत्रण उस पल पैगाम का ll
आहट खत के पदचापों की l
बंद लिफ़ाफ़े में छिपी खुमारी की ll
दस्तक दे रही जल पानी को l
साँवली सलोनी ढलती रातों को ll
मुग्ध निशा प्रहर ठहर गयी l
सजी रहे जन्नत ताबीर हुस्न नज़ारों की ll