Wednesday, August 12, 2020

कहानी

कहानी अपनी कुछ कुछ मिलती जुलती सी है l

इश्तिहारों से सजी जैसे कोई जुगलबंदी सी हैं ll


पर एकबारगी गिरवी क्या रख दिये l 

डैने जैसे फड़फड़ाना ही भूल गये  ll


निशान गहरे सजे थे तन गलियारों में l

निशां लम्बी थी खोये हुए मझधारों में ll


दर्पण भी पहचानना भूल गयी l 

घेर लिया उत्कंठि ज्वालाओं ने ll 


बेदखल हूँ क्षतिज के हर अरमानों से l

मौन स्तब्ध हूँ अपने ही साये से ll


तू भी निःशब्द जकड़ी जंजीरों में l

टिमटिमा रही हो जैसे मज़बूरी में ll


एक सहमी चीत्कार हैं अपनी बंदगानी में l

मिलती जुलती सी फ़रियाद हैं तेरी मेरी कहानी में ll

24 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 13.8.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
    धन्यवाद
    दिलबागसिंह विर्क

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    1. आदरणीय दिलबाग जी

      मेरी रचना को अपना मंच प्रदान करने के शुक्रिया
      आभार

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ आपको।

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    1. आदरणीय शास्त्री जी
      आपको भी कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें
      एवं रचना पसंद करने की लिए दिल से शुक्रिया
      आभार

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    1. आदरणीय सुशील जी
      रचना पसंद करने एवं हौशला अफजाई के लिए दिल से शुक्रिया
      आभार

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  4. बहुत खूब ...
    अच्छी रचना है ...

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    1. आदरणीय दिगंबर जी
      आपका बहुत बहुत शुक्रिया
      आभार

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    1. आदरणीय विश्व मोहन जी
      आपका बहुत बहुत शुक्रिया
      आभार

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  6. वाह .... बहुत अच्छी रचना
    बधाई 🙏

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    1. आदरणीया वर्षा दीदी
      आपका बहुत बहुत शुक्रिया
      आभार

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  7. मैंने आपका ब्लॉग follow कर लिया है । यदि आप भी मेरा ब्लॉग follow करें तो कृपा होगी । धन्यवाद 🙏

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    1. आदरणीया वर्षा दीदी
      अवश्य
      आभार

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  8. बहुत सुन्दर सृजन मनोज जी !

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    1. आदरणीया मीना दीदी
      आपका बहुत बहुत शुक्रिया
      आभार

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  9. वाह!लाजवाब सृजन सर भावों एवं शब्दों का सराहनीय ताना बाना गूँथा है।
    सादर प्रणाम

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    1. आदरणीया अनीता दीदी
      आपका बहुत बहुत शुक्रिया
      आभार

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  10. कहानी अपनी कुछ कुछ मिलती जुलती सी है l

    इश्तिहारों से सजी जैसे कोई जुगलबंदी सी हैं,,,,,,,,बहुत सुंदर और भावपूर्ण सृजन ।शुभकामनाएँ

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    1. आदरणीया मधुलिका दीदी
      आपका बहुत बहुत शुक्रिया
      आभार

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  11. पर एकबारगी गिरवी क्या रख दिये l
    डैने जैसे फड़फड़ाना ही भूल गये ll
    वाह!!!
    बहुत सुन्दर ...भावपूर्ण सृजन।

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    1. आदरणीया सुधा दीदी
      आपका बहुत बहुत शुक्रिया
      आभार

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  12. बहुत ही सुंदर रचना

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    1. आदरणीय सवाई जी
      आपका बहुत बहुत शुक्रिया
      आभार

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