जगमगा रही रोशनी सितारों की ग़ज़ल ll
सोई नहीं आँखे मुद्दतों से एक पल l
पहरे लगे थे ख्यालों के चिलमन ll
अद्भुत हैं सुनहरी यादों के रंग l
गुलाब सा प्रफुलित हो रहा मन ll
बेताब हो रही आरजू लिखने एक नया सबब l
गुल इंतज़ार में शिथिल हैं पुतलियों के अंग ll
फ़ासले रंजिशों के ना थे कम l
एक धोखा था चाँद में उसकी नज़र ll
उकेरे थे दरख़्तों पर कभी जो पल l
टटोल रही आँखे वो सोए हुए पल ll
इस पल में शामिल मिल जाए वो पल l
जिस पल इंतज़ार लिखी यह ग़ज़ल ll
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (14 -7 -2020 ) को "रेत में घरौंदे" (चर्चा अंक 3762) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
आदरणीया कामिनी जी
Deleteमेरी रचना को अपने मंच पर स्थान देने के लिए तहे दिल से धन्यवाद l
सादर
मनोज
आदरणीय मनोज कायल जी, बहुत अच्छी ग़ज़लनुमा कविता।
ReplyDeleteकृपया मेरे ब्लॉग के इस लिंक पर जाकर मेरी रचनाएं पढ़ें और अपने बहुमूल्य विचारों से अवगत कराएं। लिंक :https://marmagyanet.blogspot.com
--ब्रजेन्द्र नाथ
आदरणीय
Deleteमेरी रचना पसंद करने के लिए तहे दिल से धन्यवाद ।
सादर
मनोज
वाह!बेहतरीन 👌
ReplyDeleteआदरणीया अनिता जी
Deleteमेरी रचना पसंद करने के लिए तहे दिल से धन्यवाद ।
सादर
मनोज
बढ़िया कविता
ReplyDeleteआदरणीय जी
Deleteमेरी रचना पसंद करने के लिए तहे दिल से धन्यवाद ।
सादर
मनोज