Sunday, July 12, 2020

पल

शीतल पवन ठहरे हुए नदियाँ पल l
जगमगा रही रोशनी सितारों की ग़ज़ल ll

सोई नहीं आँखे मुद्दतों से एक पल l
पहरे लगे थे ख्यालों के चिलमन ll

अद्भुत हैं सुनहरी यादों के रंग l
गुलाब सा प्रफुलित हो रहा मन ll 

बेताब हो रही आरजू लिखने एक नया सबब l 
गुल इंतज़ार में शिथिल हैं पुतलियों के अंग ll

फ़ासले रंजिशों के ना थे कम l
एक धोखा था चाँद में उसकी नज़र ll 

उकेरे थे दरख़्तों पर कभी जो पल l
टटोल रही आँखे वो सोए हुए पल ll

इस पल में शामिल मिल जाए वो पल l 
जिस पल इंतज़ार लिखी यह ग़ज़ल ll

8 comments:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (14 -7 -2020 ) को "रेत में घरौंदे" (चर्चा अंक 3762) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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    कामिनी सिन्हा


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    1. आदरणीया कामिनी जी
      मेरी रचना को अपने मंच पर स्थान देने के लिए तहे दिल से धन्यवाद l
      सादर
      मनोज

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  2. आदरणीय मनोज कायल जी, बहुत अच्छी ग़ज़लनुमा कविता।
    कृपया मेरे ब्लॉग के इस लिंक पर जाकर मेरी रचनाएं पढ़ें और अपने बहुमूल्य विचारों से अवगत कराएं। लिंक :https://marmagyanet.blogspot.com
    --ब्रजेन्द्र नाथ

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    1. आदरणीय
      मेरी रचना पसंद करने के लिए तहे दिल से धन्यवाद ।
      सादर
      मनोज

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    1. आदरणीया अनिता जी
      मेरी रचना पसंद करने के लिए तहे दिल से धन्यवाद ।
      सादर
      मनोज

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  4. बढ़िया कविता

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    1. आदरणीय जी
      मेरी रचना पसंद करने के लिए तहे दिल से धन्यवाद ।
      सादर
      मनोज

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