Thursday, May 7, 2020

मधुशाला बदनाम

कायनात कुदरत की सारी झूठी झूठी सी l
एक बस मधुशाला ही सच्ची सच्ची सी ll

फेहरिस्त थोड़ी लम्बी इसके कद्रदानों की l
खुदा भी झुक गया देख रौनक मधुशाला की ll

क्या पंडित क्या मुल्ला क्या पादरी l
चौखट सभी इसकी चूमे बन इसके जायरीन ll

मधुशाला यारी महफ़िल कुँवारी ll
झूम रहे सभी एक रंग रंगे भूल मजहब तास्कीन ll

मशहूर काफिले मधुशाला नाम के l
नित सजा रहे कारवाँ नए मधुशाला जाम के ll

बह रही उलटी गंगा मधुशाला प्याले अंदर l
इबादत नयी लिख रही प्रेरणा मधुशाला समंदर ll

हर घूँट कह रहा अनसुना सा इतिहास l
बिन मधुशाल शतरंज की भी ना कोई बिसात ll

अमृत से बढ़कर इसका लग रहा अवदान l
मशहूर तभी जग में मधुशाल के कद्रदान ll

यहीं नाजनीन यहीं स्वर्ग का आभास l
तर दे रस फिर भी मधुशाला ही बदनाम ll

2 comments:

  1. Replies
    1. आदरणीय शास्त्री जी
      प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद , इसी तरह मार्ग दर्शन करते रहे
      आभार
      मनोज

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