दर्द आँखों से जब उतरता हैं
अश्कों का दरिया बन छलकता हैं
दर्द से ही धड़कनों की पहचान हैं
वर्ना तो जिंदगी पूरी गुमनाम हैं
उखड़ती साँसे क्यों इतनी बईमान हैं
दर्द की गहराई में छुपा कोई राज हैं
दर्द दिलरुबा आँखों की
पल प्रतिपल भाव बदलती हैं
गुस्ताखियाँ दर्द की कैद आँखों के अंदर
थामे हुए एक गहरा समंदर दिल के भीतर
रूह का कितना हसीं धोखा हैं
दर्द आँखों में चेहरे पे गुलसिताँ हैं
इस गफलत में जी रहा ज़माना हैं
फिसल गया दर्द मिला जब कोई बेदर्द फ़साना हैं
बिन दर्द के अब चैन नहीं
दर्द नहीं तो यह जीना भी बेस्वादा हैं
दर्द का अब दर्द रहा नहीं
डर नहीं यह जख्म कोई पुराना हैं
अश्कों का दरिया बन छलकता हैं
दर्द से ही धड़कनों की पहचान हैं
वर्ना तो जिंदगी पूरी गुमनाम हैं
उखड़ती साँसे क्यों इतनी बईमान हैं
दर्द की गहराई में छुपा कोई राज हैं
दर्द दिलरुबा आँखों की
पल प्रतिपल भाव बदलती हैं
गुस्ताखियाँ दर्द की कैद आँखों के अंदर
थामे हुए एक गहरा समंदर दिल के भीतर
रूह का कितना हसीं धोखा हैं
दर्द आँखों में चेहरे पे गुलसिताँ हैं
इस गफलत में जी रहा ज़माना हैं
फिसल गया दर्द मिला जब कोई बेदर्द फ़साना हैं
बिन दर्द के अब चैन नहीं
दर्द नहीं तो यह जीना भी बेस्वादा हैं
दर्द का अब दर्द रहा नहीं
डर नहीं यह जख्म कोई पुराना हैं
बहुत खूब
ReplyDeleteआदरणीय शास्त्री जी
Deleteहौशला अफजाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया
आभार
मनोज