Monday, May 25, 2020

ईद

इस ईद बस एक फरियाद हैं मेरी
खुदा नज़रें इनयाते कर दे थोड़ी

चाँद नज़र आ जाए मेरी भी सर जमीं 
नमाज़ ईद की अदा कर दूँ उसकी सर जमीं

अज़ान बन गूँज उठे हर इबादत मेरी
निहारु जब आसमां दुआ कबूल हो मेरी 

रस्म निभाऊ गले मिल उस चाँद की हथेली
दस्तूर रिवाज बन जाए हबीबी की ईदी

सजदा उस आफताब का महकता रहे
सरके जो हिजाब तो महताब निखरता रहे

बस वो छुपा चाँद जो नजर आ जाए
हर रोज़ नमाज़ अदा कर दूँ उस ईद की खुशी 

2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (27-05-2020) को "कोरोना तो सिर्फ एक झाँकी है"   (चर्चा अंक-3714)    पर भी होगी। 
    --
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    --   
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    --
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

    ReplyDelete
    Replies
    1. आदरणीय शास्त्री जी
      मेरी रचना को अपने मंच पर स्थान देने के लिए दिल से शुक्रिया
      आभार
      मनोज

      Delete