किश्तों में कैसे तुमसे मैं प्यार करूँ
दिल पे तेरे दस्तखतों का ज़िक्र कैसे सरे आम करूँ
इजहारे अंदाज़ ने रंग शमा का बदल दिया
हर मौसम को रुमानियत रिवाज़ बना दिया
फ़साना तरन्नुम ने भी खूब कहा
तारुफ़ में दिल आशिकाना मुस्करा गया
अनबुझ पहेली ज़िक्र रात सयानी
बन प्रेयसी चाँद उतारे नजर तुम्हारी
ओझल ना हो पलकों से ए प्रेम कहानी
तितली पंखुरियों सजी रहे ए बात सुहानी
दीवानी मीरा ह्रदय रचे रास बिहारी
कुँज गलियों गूँजे अपनी भी प्रेम कहानी
सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteआदरणीय शास्त्री जी
Deleteआपकी हौशला अफ़ज़ाई से मेरी लिखावट में और निखार लाती हैं, आपका बहुत बहुत शुक्रिया
आभार
मनोज