निभाने दस्तूर जमाने के
रस्मों रिवाज़ की तिलांजलि दे आया
बन अपनी नज़रों में अपराधी
आवाज़ में ठहराव को हवा दे आया
ठहराव हैं आत्मसात का
घुटनों पे रेंगती सच्चाई का
खोये आत्मसन्मान की अश्रु धारा का
बदल गया प्रहर का रूप
टूट बिखर गए माला के फूल
अँधियारा बदनसीबी का
बुझा गया प्रकाश पुंज
गुमनाम हो गयी नियति
बदल गए जीवन बोल
ढह गयी मिट्टी कुनबे की
लुप्त हो गए लकीरों के छोर
जकड़ गयी जंजीर अहसानों की
गुलाम हो गए हस्त रेखाओं के मोल
ठहरने लगी दिल की आवाज़
ना कटने वाली बैचैन उम्र दराज़ों के ठोर
बैचैन उम्र दराज़ों के ठोर
रस्मों रिवाज़ की तिलांजलि दे आया
बन अपनी नज़रों में अपराधी
आवाज़ में ठहराव को हवा दे आया
ठहराव हैं आत्मसात का
घुटनों पे रेंगती सच्चाई का
खोये आत्मसन्मान की अश्रु धारा का
बदल गया प्रहर का रूप
टूट बिखर गए माला के फूल
अँधियारा बदनसीबी का
बुझा गया प्रकाश पुंज
गुमनाम हो गयी नियति
बदल गए जीवन बोल
ढह गयी मिट्टी कुनबे की
लुप्त हो गए लकीरों के छोर
जकड़ गयी जंजीर अहसानों की
गुलाम हो गए हस्त रेखाओं के मोल
ठहरने लगी दिल की आवाज़
ना कटने वाली बैचैन उम्र दराज़ों के ठोर
बैचैन उम्र दराज़ों के ठोर
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