तेरी यादों के चिलमन को छोड़
बाक़ी याददाश्त खाली खाली हैं
ओ रहगुज़र हमसफ़र
इन आँखों में नींद कम
तेरे इश्क़ की ख़ुमारी भारी हैं
किताबों के पुराने सूखे फूलों में
तेरी यादों की महक आज भी बाकी हैं
यादों के झरोखे में बस तेरे नूर की ही चाँदनी हैं
बाकी याददाश्त तो बस खाली खाली हैं
समझौते हैं कुछ बदनाम राहों के
किस्से हैं कुछ इश्क़ की गालियारों के
अरमान फिर भी सजे हैं तेरी ही यादों के
फरियाद अब ओर नहीं यादों की
छोड़ तेरी चिलमन को याद नहीं यादों की
बीते दिनों की कहानी मत पूछ
ReplyDeleteरूह तड़पती है एक किरदार के नाम से
कैसे बीती
जो जबर्दस्ती बिताई मत पूछ।
सुंदर लेखन।
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