ख़ोज रहा हूँ असत्य में सत्य की पहचान को
इस आबोहवा में लौ चिंगारी की आगाज़ को
कमसिन उम्र परिंदों सी छटपटाहट
हर लफ़्ज़ों से अँगार हैं बरसे
गहरे कोहरे घनघोर अँधेरे
तमाशबीन खड़े हैं समय घेरने
उन्माद हिंसक ज्वलंत प्रकरण
नए रूप में उभरा हैं रावण
होलिका दहन ताण्डव रूप धरे नवयौवन
रक्त होली बीच गुम हो गया बचपन
चल रहा असत्य हर घर हर गली गली
आराध्य बन पूज रही घृतराष्ट्र की टोली
करने इस कुरुक्षेत्र पटककथा का पटाक्षेप
पुकार रही सत्य के शंखनाद की आवाज़
पुकार रही सत्य के शंखनाद की आवाज़
इस आबोहवा में लौ चिंगारी की आगाज़ को
कमसिन उम्र परिंदों सी छटपटाहट
हर लफ़्ज़ों से अँगार हैं बरसे
गहरे कोहरे घनघोर अँधेरे
तमाशबीन खड़े हैं समय घेरने
उन्माद हिंसक ज्वलंत प्रकरण
नए रूप में उभरा हैं रावण
होलिका दहन ताण्डव रूप धरे नवयौवन
रक्त होली बीच गुम हो गया बचपन
चल रहा असत्य हर घर हर गली गली
आराध्य बन पूज रही घृतराष्ट्र की टोली
करने इस कुरुक्षेत्र पटककथा का पटाक्षेप
पुकार रही सत्य के शंखनाद की आवाज़
पुकार रही सत्य के शंखनाद की आवाज़