अनकहे अल्फाजों का पैगाम हैं
जुल्फ़ों की लटों में गुजरे जो
हर वो शाम पाक ए जवां हैं
कुछ रूमानी सा अंदाज़ हैं
निखर आये रंग हिना भी
मौशीकी में डूबी शबनमी रात हैं
एक पल को ठहर जाये यह पल यहाँ
उड़ा ले जाये आँचल पवन वेग में
हिरणी सी मदमाती चाल हैं
छलके रोम रोम से प्यार खुदा बनके
संगेमरमर में तराशी ताज हैं
छोटा सा हसीन यह खाब्ब हैं
आँखों के आलिंगन में सजी रहे
दुल्हन बनी अपनी हर रात हैं
दुल्हन बनी अपनी हर रात हैं
जुल्फ़ों की लटों में गुजरे जो
हर वो शाम पाक ए जवां हैं
कुछ रूमानी सा अंदाज़ हैं
निखर आये रंग हिना भी
मौशीकी में डूबी शबनमी रात हैं
एक पल को ठहर जाये यह पल यहाँ
उड़ा ले जाये आँचल पवन वेग में
हिरणी सी मदमाती चाल हैं
छलके रोम रोम से प्यार खुदा बनके
संगेमरमर में तराशी ताज हैं
छोटा सा हसीन यह खाब्ब हैं
आँखों के आलिंगन में सजी रहे
दुल्हन बनी अपनी हर रात हैं
दुल्हन बनी अपनी हर रात हैं