साँसों की गुफ्तगूँ में
गुस्ताख़ी नजरों की हो गयी
खुले केशवों की लटों में
अरमानों की ताबीर खो गयी
देख चाँद के शबाब को
आयतें खुदगर्ज अपने आप हो गयी
सिंदूरी साँझ की लालिमा में लिपटी
आँचल के आगोश में सिमटी
तारुफ़ फ़िज़ा के लावण्य पर फ़ना हो गयी
निकल सपनों के ख़्यालों की जागीर से
चाँदनी नूर बन दिल से रूबरू हो गयी
हौले हौले तहरीर लबों की दस्तक ऐसी दे गयी
गुफ्तगूँ साँसों की साँसों से हो गयी
गुफ्तगूँ साँसों की साँसों से हो गयी
गुस्ताख़ी नजरों की हो गयी
खुले केशवों की लटों में
अरमानों की ताबीर खो गयी
देख चाँद के शबाब को
आयतें खुदगर्ज अपने आप हो गयी
सिंदूरी साँझ की लालिमा में लिपटी
आँचल के आगोश में सिमटी
तारुफ़ फ़िज़ा के लावण्य पर फ़ना हो गयी
निकल सपनों के ख़्यालों की जागीर से
चाँदनी नूर बन दिल से रूबरू हो गयी
हौले हौले तहरीर लबों की दस्तक ऐसी दे गयी
गुफ्तगूँ साँसों की साँसों से हो गयी
गुफ्तगूँ साँसों की साँसों से हो गयी